गन्ना, कपास, सोयाबीन, प्याज, हल्दी और बीज उत्पादन के लिए प्रसिद्ध महाराष्ट्र का मराठवाड़ा मौसम की मार झेल रहा है. यहां लगातार हो रही बारिश ने किसानों को एक तरह से बर्बाद कर दिया. बारिश से फिलहाल राहत की भी उम्मीद नहीं है. मौसम विभाग ने शुक्रवार (26 सितंबर) को बताया कि औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर), जालना, परभणी, हिंगोली, नांदेड, लातूर, बीड,  धाराशिव (उस्मानाबाद) में अगले दो दिनों तक भारी बारिश का अलर्ट है. 

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इस आपदा के बीच सरकार की हर संभव कोशिश है कि जल्द से जल्द किसानों तक राहत पहुंचाई जाए. शुक्रवार को एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठवाड़ा क्षेत्र में इस साल मई से अगस्त के बीच भारी बारिश के कारण फसल नुकसान झेलने वाले किसानों को सहायता वितरित करने के लिए 1500 करोड़ रुपये आवंटित किए .

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न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, संभागीय आयुक्त जितेंद्र पापलकर ने बताया कि राशि सीधे प्रभावित किसानों के खातों में जाएगी और भुगतान प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को प्रभावित किसानों की सूची तुरंत अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं.

कितना सर्वे हुआ पूरा?

मराठवाड़ा क्षेत्र में आठ जिले हैं. यहां वर्तमान में फसलों के नुकसान का आकलन कार्य चल रहा है. पापलकर ने कहा कि अब तक लगभग 80 प्रतिशत फसलों के नुकसान का सर्वे पूरा हो चुका है. इन जिलों में 20 सितंबर से भारी बारिश और नदियों के उफान के कारण बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है, जिसमें कम से कम 9 लोगों की जान गई है. इस साल के मौजूदा मानसून सीजन में मराठवाड़ा क्षेत्र के 8 जिलों में बारिश से जुड़ी घटनाओं में अब तक 86 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके साथ ही बड़ी संख्या में पालतू पशुओं की भी जान गई है. 

कितने फसल का नुकसान?

महाराष्ट्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार (26 सितंबर) को बताया कि मूसलाधार बारिश और उसके बाद आई बाढ़ के कारण पिछले एक सप्ताह में 83.77 लाख एकड़ क्षेत्र पर लगी फसलें नष्ट हुई है.

बीड, धाराशिव, सोलापुर, नांदेड़, यवतमाल, बुलढाणा और हिंगोली ज़िलों में सोयाबीन, कपास, प्याज, ज्वार और हल्दी की फसलें सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं. मराठवाड़ा पिछले कुछ सालों में सूखे की वजह से देशभर में चर्चा में आता रहा है, लेकिन इस बार भारी बारिश ने तबाही लाई है.   

मंत्री की चेतावनी

कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे ने कहा, ‘‘अगर किसी किसान की जमीन के एक भी गुंठा (गुंठा जमीन की माप) का आकलन छूट गया तो अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा. किसान गहरे संकट में हैं और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी मदद से वंचित न रहे.’’

मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे ने अधिकारियों को मछली पालकों को हुए नुकसान का आकलन 10 दिनों के भीतर पूरा करने और प्रभावित जगहों का व्यक्तिगत रूप से दौरा करके सटीक जानकारी एकत्र करने के निर्देश दिए. 

मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री और विपक्षी दलों के नेता बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर नुकसान का जायजा ले रहे हैं. आगमी निकाय चुनाव से पहले नेताओं का ये टूर काफी अहम है. 

विपक्षी दलों ने सरकार से राज्य को आद्र सूखा या ‘वेट ड्राउट’ (भारी बारिश के बावजूद फसलों को लाभ नहीं बल्कि सूखे जैसा नुकसान) घोषित करने की मांग की है. विपक्ष ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजे की मांग की है. 

विपक्ष की क्या है मांग?

महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने  कहा कि कई विधायक, सांसद, गैर-सरकारी संगठन (NGO) और उद्योग जगत के लोग प्रभावित लोगों की मदद के लिए काम कर रहे हैं. बीजेपी विधायकों ने भी बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए एक माह का वेतन देने का निर्णय लिया है.

कांग्रेस और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने सरकार से राज्य में गीला सूखा घोषित करने की मांग की है. कांग्रेस ने प्रभावित किसानों को 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा देने की मांग की है. वहीं शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार से 10,000 करोड़ रुपये का सहायता पैकेज मराठवाड़ा के लिए घोषित करने की मांग की है.

मुख्यमंत्री का दौरा

मुख्यमंत्री फडणवीस ने 25 सितंबर को सोलापुर और लातूर का दौरा किया. उन्होंने लिखा, ''भारी वर्षा से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करते हुए, हमारे किसानों के साथ मजबूती से खड़े होने और सरकार के अडिग समर्थन को दोहराने के दिन की कुछ झलकियां.'' मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वो प्रभावित इलाकों का दौरा करें. 

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार (25 सितंबर) को केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात की और मदद मांगी. सीएम ने एक्स पर लिखा, ''महाराष्ट्र में हुई अत्यधिक वर्षा और इसके कारण किसानों को हुए बड़े नुकसान के संबंध में देश के गृह मंत्री अमित शाह को एक विस्तृत निवेदन सौंपा. इस निवेदन में यह मांग की गई कि एनडीआरएफ के माध्यम से महाराष्ट्र के प्राकृतिक आपदा प्रभावित किसानों को पर्याप्त मदद प्रदान की जाए.''

उप-मुख्यमंत्री और शिवसेना के प्रमुख एकनाथ शिंदे ने भी अपनी पूरी टीम के साथ बाढ़ प्रभावित धाराशिव का दौरा किया. वो उन खेतों में भी गए, जहां सबकुछ खत्म हो चुका है. 

 

लोन माफी पर क्या बोले अजित पवार?

वहीं एनसीपी के प्रमुख और उप-मुख्यमंत्री अजित पवार बीड और धाराशिव के कई इलाकों में गए, जहां बर्बादी देखी. अजित पवार ने कहा कि जहां बाढ़ के कारण खेत की पूरी मिट्टी बह गई है. सरकार उसके पुनर्निर्माण के लिए सहायता देगी. किसानों के कुएं भी गाद भर जाने से नष्ट हो गए हैं. हम ऐसे मामलों में भी मदद करेंगे.

उन्होंने बताया कि बाढ़ की स्थिति से केवल फसल ही नहीं, बल्कि आधारभूत ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) को भी नुकसान हुआ है.

लोन माफी की मांग पर अजित पवार ने कहा, “मैं वही बोलता हूं जो सच है. मैं राजनीति नहीं करना चाहता. लेकिन जहाँ जरूरतमंदों की मदद करनी है, वहां हम कहीं कमी नहीं छोड़ रहे हैं. हम लोगों की मदद ‘लाडकी बहिन’ योजना, बिजली बिल माफी और संजय गांधी निराधार योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से कर रहे हैं. सरकार आम आदमी की मदद कर रही है.”

छत्रपति संभाजीनगर के ग्रामीणों और किसानों के साथ शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने संवाद किया. उन्होंने कहा, “सोने जैसी फसल की मिट्टी बर्बाद हो गई है. इस जमीन को फिर से जोतने के लिए किसानों को काफी खर्च करना पड़ेगा. यह खर्च सरकार को उठाना ही चाहिए, यह किसानों का अधिकार है. किसानों की मदद करना सरकार का कर्तव्य है, और इस कर्तव्य को निभाने की भावना इस अवसर पर उन्होंने भी व्यक्त की.” उद्धव ठाकरे बीड और जालना भी पहुंचे और प्रभावित इलाकों का दौरा किया. 

 

26 सितंबर को महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने बुलढाणा का दौरा किया. उन्होंने कहा कि महायुती सरकार की ओर से अब तक किसानों को मदद का एक भी रुपया नहीं मिला है. किसानों की फसलें बह गईं, परिवार तबाह हुए, जीवनयापन के साधन नष्ट हो गए, फिर भी यह निष्क्रिय फडणवीस सरकार केवल आश्वासन देती रही है. सपकाल जालना, नांदेड, परभणी और हिंगोली भी पहुंचे. 

शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) से जयंत पाटिल लगातार दौरा कर रहे हैं. उन्होंने धाराशिव समेत अन्य इलाकों में किसानों से मुलाकात की. उन्होंने कर्ज माफी की मांग उठाई. वहीं सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि क्या महाराष्ट्र सरकार ने प्रस्ताव भेजा है? उन्होंने कहा कि यह दुःख की बात है कि लोग अपने फोटो लगाकर किसानों को किट्स बांट रहे हैं.

फिल्म जगत से अपील

केंद्रीय मंत्री और आरपीआई के अध्यक्ष रामदास अठावले ने कहा कि सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सभी नेता मराठवाड़ा में जाकर हालात का आकलन कर रहे हैं और अपनी-अपनी तरफ से मदद की कोशिश कर रहे हैं. अफ़सोस होता है कि जहाँ राज्य और केंद्र की सरकारें अपनी ओर से हर संभव मदद कर रही हैं, कलाकार मराठी हो  या हिंदी , कॉर्पोरेट जगत के लोगों, व्यापारियों और अन्य क्षेत्रों के जिम्मेदार नागरिकों की मदद उतनी दिखाई नहीं दी है, जितनी उम्मीद थी. हम सभी ने कभी न कभी इसी धरती से, इसी माटी से उगे हुए अन्न को खाया है. आज वही अन्नदाता मुसीबत में है.''

उन्होंने कहा, ''यह समय है कि हम सब मिलकर आगे आएं. सिर्फ राजनीति से जुड़े लोग ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र के लोग चाहे कला हो, व्यापार हो या उद्योग सबको अपने अपन हिस्से की मदद देनी चाहिए. अगर हम सब साथ खड़े होंगे, तो हमारे अन्नदाता को इस संकट से उबरने में बहुत मदद मिलेगी.''

लाल बाग के राजा गणपति मंडल का ऐलान

लाल बाग के राजा गणपति मंडल ने किसानों की मदद के लिए 50 लाख रुपए की मदद का ऐलान किया है. यह रकम लाल बाग के राजा गणपति मंडल सीएम देवेंद्र फडणवीस की जल्द ही सीएम रिलीफ फंड के लिए देंगे.