CM Eknath Shinde On Old Pension Scheme: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की मांग को लेकर सरकारी और अर्धसरकारी कर्मचारियों द्वारा बुलाई गई हड़ताल को संज्ञान में लेते हुए आज विधानसभा में बड़ा ऐलान किया है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की कि वह पेंशन योजना पर निर्णय लेने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कर्मचारियों से हड़ताल वापस लेने की अपील की. 


कामकाज रहा ठप
राज्य में सरकारी और अर्धसरकारी कर्मचारियों द्वारा आहूत हड़ताल के चलते राज्य के सरकारी कार्यालय खाली रहे. सरकारी दफ्तर में दिनभर कामकाज ठप रहा. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज विधानसभा में हड़ताल को लेकर ऐलान किया. मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राष्ट्रीय पेंशन योजना और पुरानी पेंशन योजना का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी विधानसभा से पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए कर्मचारी संघों द्वारा आहूत हड़ताल वापस लेने की अपील की.


समिति में कौन शामिल है?
समिति में भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी सुबोध कुमार, के.पी. बख्शी, सुधीर कुमार श्रीवास्तव शामिल होंगे. लेखा एवं कोष निदेशक इस समिति के सचिव के रूप में कार्य करेंगे. समिति तीन महीने में उपचारात्मक उपायों के संबंध में सिफारिश और रिपोर्ट प्रस्तुत करने जा रही है. 


राज्य भर में हड़ताल 
राज्य के सरकारी कर्मचारियों ने आज से पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की है. सरकारी कर्मचारियों ने 'एक मिशन, पुरानी पेंशन' के नारे के साथ आज राज्य भर में विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया. मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि राज्य में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए एक अध्ययन समिति का गठन किया जाएगा. सरकारी कर्मचारियों ने इसके खिलाफ अपना विरोध जारी रखा है. देखने में आ रहा है कि इस आंदोलन से राज्य के नागरिक प्रभावित हुए हैं. कई जिलों के स्वास्थ्य कर्मियों के इस आंदोलन में शामिल होने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 


दी गई ये चेतावनी
चेतावनी दी गई है कि अगर राज्य सरकार ने प्रदर्शनकारियों की मांगें नहीं मानीं तो 28 मार्च से राज्य के डेढ़ लाख राजपत्रित अधिकारी हड़ताल पर चले जाएंगे. राजपत्रित अधिकारियों को कर्मचारियों की हड़ताल का पूरा समर्थन है और उनका यह रुख है कि कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने पर अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. नतीजतन, राज्य में सरकारी कामकाज पूरी तरह से ठप रहने की संभावना है. 


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