मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की कुछ ऐसी पंचायतें भी हैं, जहां पर परंपरागत रूप से कई सालों से एक ही परिवार के लोग चुनकर आ रहे हैं. इन्हीं पंचायतों में शामिल है रतलाम जिले (Ratlam District) की राउटी और मौलवा पंचायत. यहां पर एक ही परिवार के लोग लगातार दो दशक से सरपंच पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. कभी पत्नी (Wife) जीतकर सरपंच बन जाती है तो कभी पति (Husband) को सेवा का मौका मिलता है. इस बार भी दोनों पंचायतों में कांटे के मुकाबले के बीच दो दशक से राज कर रहे परिवार के प्रत्याशी मैदान में है. अब यह चुनाव परिणाम ही बता पाएगा कि उनकी सत्ता कायम रह पाती है या नहीं.


कहां से जीत रहे हैं पति-पत्नी


आदिवासी बहुल्य इलाके की राउटी पंचायत में कानजी मकवाना का परिवार दो दशक से सरपंच पद पर जनसेवा कर रहा है. साल 2000 में कानजी मकवाना चुनकर सरपंच बने थे. जब 5 साल बाद 2005 में चुनाव आए तो उनकी पत्नी गीता बाई सरपंच चुनी गईं. इसके बाद साल 2010 में कान जी चुनाव जीत गए. 2015 में उनकी पत्नी ने सरपंच पद पर विजय हासिल की. इस बार फिर कानजी मकवाना अपने प्रतिद्वंदी अमर सिंह, संजय, राधाकिशन और विक्रांत के साथ मैदान में हैं. रावट पंचायत के अंतर्गत पांच आदिवासी बहुल्य इलाके के आते हैं. 


इस बार कौन दे रहा है टक्कर


इसी प्रकार मोलवा पंचायत में भी पति-पत्नी की जोड़ी लगातार साल 1994 से सरपंच पद पर जन सेवा कर रही है. यहां पर हलिया देवदा प्रभारी सरपंच के रूप में 1997 में चुने गए थे. इसके बाद 2000 में उनकी पत्नी दीतूड़ी बाई चुनाव जीत गईं. साल 2005 में हलिया और 2010 में उनकी पत्नी दीतूड़ी बाई ने चुनाव जीत लिया. इसी तरह 2015 में फिर हलिया देवदा ने सभी निकटतम प्रतिद्वंद्वियों को चुनाव हरा दिया. इस बार इतिहास दोहराते हुए उनकी पत्नी दीतूड़ीबाई भी मैदान में हैं. दीतूड़ी बाई के सामने सीता बाई, नवली बाई, कविता, तोला बाई, हुकली बाई, झूना बाई भी चुनावी मैदान में हैं.


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