Mahakal Sawari: शिव भक्तों के अलावा यह बात कम ही लोग जानते हैं कि सावन और भादो की तर्ज पर कार्तिक और अगहन मास में भी भगवान महाकाल नगर भ्रमण पर निकलते हैं. उनकी सवारी इस शाही ठाठ-बाट के साथ कार्तिक और अगहन मानस में भी निकलती है. सोमवार (20 नवंबर) को इसकी शुरुआत हो रही है. भगवान महाकाल मन महेश के रूप में प्रजा को दर्शन देंगे. सोमवार को कार्तिक मास की पहली सवारी निकलने वाली है, जिसे लेकर पूरी तैयारी की गई है. महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी के मुताबिक इस बार 20 नवंबर से 11 दिसंबर के बीच चार सवारियां निकलेगी.


महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी महेश गुरु ने बताया कि भगवान महाकाल के नगर भ्रमण की परंपरा काफी प्राचीन है. भगवान महाकाल का सोमवार को विधि विधान के साथ पूजन करने के बाद पालकी में बैठा कर नगर भ्रमण के लिए निकला जाता है. भगवान महाकाल की सवारी अपने परंपरागत मार्ग से होते हुए रामघाट पर पहुंचेगी. जहां से अभिषेक के बाद एक बार फिर पालकी ढाबा रोड, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी.


सावन और कार्तिक की सवारी में अंतर


सावन और कार्तिक में निकलने वाली सवारी में पूजा अर्चना से लेकर विधि विधान में कोई फर्क नहीं रहता है, जबकि श्रद्धालुओं की संख्या जरूर कम और ज्यादा रहती है. पंडित आशीष पुजारी के मुताबिक जिस प्रकार से सावन और भादो माह में भगवान महाकाल की पूजा अर्चना के बाद उनकी पालकी नगर भ्रमण पर निकलती है. ठीक उसी तरह की परंपरा कार्तिक और अगहन मास में भी निभाई जाती है. हालांकि कार्तिक और अगहन मास में शिव भक्तों की संख्या सवारी में थोड़ी कम रहती है. भगवान महाकाल को सावन की तरह ही कार्तिक माह में भी मुख्य के तरफ से गॉड ऑफ ऑनर दिया जाता है. श्रद्धालुओं की संख्या कम रहने से सुरक्षा के इंतजाम भी सावन की तुलना में सवारी में काम रहते हैं.


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