Indore District History: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी और मिनी मुंबई के नाम से जाना जाने वाला शहर अलग पहचान रखता है. इंदौर से निकले कई राजनेताओं ने राजनीति के क्षेत्र में बड़ा पद और नाम कमया है. हम बात कर रहे हैं शहर के पांच दिग्गज नेता सुमित्रा महाजन (ताई ), कैलाश विजयवर्गीय, सज्जन सिंह वर्मा, जितेंद्र (जीतू ) पटवारी और मालिनी गौड़ की. उन्होंने देश की राजनीति में रहते हुए नाम और शोहरत काफी कमाया. 


1. सुमित्रा महाजन (बीजेपी)
सुमित्रा महाजन को देश भर में 'ताई' के नाम से भी जाना जाता है. ताई का जन्म 12 अप्रैल 1943 में महाराष्ट्र के चिपलूण में उषा और पुरुषोत्तम साठे के घर हुआ था. सुमित्रा महाजन का एक बेटा है. ताई ने राजनीतिक जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे. विधानसभा चुनाव में लगातार हार के बाद पहली बार 1989 में लोकसभा का चुनाव लड़ा. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे प्रकाश चंद सेठी को हराया. इसके बाद ताई ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और लगातार आठ बार लोकसभा चुनाव जीता. ताई लोकसभा का चुनाव कभी नहीं हारनेवाली देश की पहली महिला बन गईं. सुमित्रा महाजन ने सोलहवीं लोकसभा के अध्यक्ष का पद भी संभाला. भारत सरकार ने पद्म भूषण सम्मान से नवाजा है.


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2. कैलाश विजयवर्गीय (बीजेपी)
वर्तमान में शहर के दूसरे सबसे बड़े राजनेता बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय हैं. विजयवर्गीय देश की राजनीति का जाना पहचाना नाम बन चुका है. कैलाश विजयवर्गीय का जन्म 13 मई 1956 को इंदौर में हुआ था. विजयवर्गीय के परिवार में धर्म पत्नी आशा विजयवर्गीय और दो बेटे हैं. राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ में रहकर शहर वासियों की सेवा की. बीजेपी से जुड़कर राजनैतिक जीवन की शुरुआत की और पहली बार इंदौर नगर नगम के महापौर बने. कैलाश विजयवर्गीय लगातार 6 बार विधायक रहे और कभी विधानसभा का चुनाव नहीं हारे. 12 वर्षो तक राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बने रहे. कई प्रदेशों के चुनाव में चुनाव प्रभारी बन पार्टी का नेतृत्व किया और हाल फिलहाल में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव पद पर आसीन हैं.


3. सज्जन सिंह वर्मा (कांग्रेस)
कांग्रेस के बड़े नेता सज्जन सिंह वर्मा की पहचान प्रदेश में बेबाक राजनेता के तौर पर है. सज्जन सिंह वर्मा का जन्म 24 अगस्त 1952 को इंदौर में हुआ था. वर्मा के पिता राजनीति के अच्छे जानकार थे. उनके परिवार में धर्म पत्नी सहित 2 बेटे और 2 बेटियां हैं. सज्जन सिंह वर्मा की राजनीति का सफर बतौर पार्षद होता है. 1983 में पहली बार पार्षद का चुनाव जीत कर राजनीति के मैदान में कदम रखा. उसके बाद वर्मा ने फिर कभी पीछे मुड़ कऱ नहीं देखा. 1985 में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव का टिकट दिया और पहला विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक बने. उसके बाद 1998, 2003, 2008 में विधायक चुने गए.1998 से 2003 तक राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. सन 2009 में देवास से सांसद का चुनाव जीतकर 15वीं लोकसभा का हिस्सा बने. इस बार कांग्रेस ने सोनकच्छ विधानसभा से प्रत्याशी बनाया और विधायक चुन कर एक बार फिर विधानसभा पहुंचे. वर्मा कमलनाथ सरकार में 18 महीने कैबिनेट मंत्री रहे. फिलहाल वर्तमान में विधायक हैं.


4. जीतेन्द्र पटवारी (कांग्रेस)
चौथे दिग्गज नेता कांग्रेस के जीतेन्द्र (जीतू ) पटवारी हैं. जीतू का जन्म 19 नवंबऱ 1973 को इंदौर के बीजलपुर में हुआ था. छात्र जीवन से ही कांग्रेस की राजनीति करने वाले पटवारी को प्रदेश में जीतू पटवारी के नाम से जाना जाता है. जीतू पटवारी को कांग्रेस ने 2008 में इंदौर की राऊ विधानसभा से विधायक का टिकट दिया और पहली बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुचे. 2013 में विधानसभा चुनाव हार गए. 2013 के बाद से कांग्रेस धीरे-धीरे प्रदेश में अस्तित्व खोने लगी. तभी जीतू पटवारी ने महंगाई, बेरोजगारी के खिलाफ सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन चलाया. मंदसौर गोलीकांड के बाद सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन खड़ा कर देश में चर्चित हुए और एक बार फिर मध्यप्रदेश में कांग्रेस का वर्चस्व बनाने में मुख्य भूमिका निभाई. 2018 में एक बार फिर विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीतकऱ विधानसभा पहुंचे. साथ ही कांग्रेस की राज्य में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई. प्रदेश की कमलनाथ सरकार में मंत्री भी चुने गए. लेकिन 18 महीने कैबिनेट में मंत्री रहने के बाद कलनाथ की सरकार बागी विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद गिर गई .जीतू पटवारी हाल फिलहाल में इंदौर की राऊ विधानसभा से विधायक हैं.


5. मालिनी गौड़ (बीजेपी)
पांचवीं कद्दवार नेता की विधायक के साथ ही महापौर के पद पर भी रही हैं. बीजेपी की मालिनी गौड़ का जन्म 19 जून 1961 को झाबुआ में हुआ था. बीजेपी के दिग्गज नेता लक्ष्मण सिंह गौड़ से मालिनी का 1983 में विवाह हुआ. मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ शुरू में राजनीति से दूर ही रहती थीं. लेकिन पति लक्ष्मण सिंह गौड़ प्रदेश की राजनीति का नामचीन चेहरा थे. लक्ष्मण सिंह गौड़ की छवि कट्टर हिंदूवादी नेता की थी और उनके विधानसभा क्षेत्र को आज भी अयोध्या के नाम से जाना जाता है. लक्ष्मण सिंह गौड़ की 2007 में दुर्घटना में मौत हो गई. पति की मौत के बाद मालिनी गौड़ ने पहली बार सन 2007 में विधानसभा का उपचुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुई. तब से लेकर आज तक लगातार चार बार इंदौर विधानसभा क्रमांक 4 से विधायक हैं. साथ ही 2015 में पहली बार इंदौर की महापौर बनीं. निगम महापौर रहते हुये कड़ी मेहनत और कार्य निष्ठा से इंदौर को पहली बार स्वच्छता रैंकिंग में नेंबर एक का दर्जा दिलाने में मदद की. गौड़ के कार्यकाल में इंदौर ने स्वच्छता सर्वेक्षण में 4 बार नंबर एक का तमगा हासिल किया. इंदौर ने अभी तक स्वच्छता रैंकिंग में 5 का पंच लगाकर देश भर में अलग पहचान बनाई है. फ़िलहाल मालिनी गौड़ वर्तमान में विधायक के पद पर काबिज़ हैं.


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