Gwalior News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में सरकारी राशि हड़पने के लिए जिंदा लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के सनसनी खेज मामले का खुलासा हुआ है. इस भ्रष्टाचार को ग्रेस पीसीआर और उप सरपंच के पति ने मिलकर अंजाम दिया. इन्होंने 5 हजार रुपये की अंत्येष्टि राशि और 2 लाख रुपये की अनुग्रह सहायता राशि को फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर हड़प लिया. इस मामले में वर्तमान जिला पंचायत ने शिकायत दर्ज कराते हुए जिला पंचायत सीईओ से जांच करने की मांग की थी. जांच में पता चला है कि सहायक उप सरपंच, सचिव और पीसीओ की मिली भगत से फर्जीवाडे़ को अंजाम दिया गया.


ग्वालियर जिला पंचायत के भितरवार जनपद की ग्राम पंचायत किठोदा में सरकारी राशि हड़पने के लिए जिंदा लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने का मामला सामने आया है. यहां मिलने वाली राशि को ग्रेस पीसीआर और उप सरपंच के पति पंचम वर्मा की मिली भगत से पांच हजार रुपये की अंत्येष्टि राशि और दो लाख रुपये की अनुग्रह सहायता को फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर हड़प लिया गया. फर्जीवाड़ा की जानकारी सरपंच को उस वक्त लगी, जब वे गांव के ही एक व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र लेने के लिए दुकान पर पहुंचे. यहां कियोस्क संचालक ने उन्हें गांव के पांच लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र


कैसे हुए फर्जीवाड़े का खुलासा?
मृत्यु प्रमाण पत्र देख सरपंच के पांव के नीचे से जमीन खिसक गई और वह घबरा गए, क्योंकि जिन लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र कियोस्क संचालक ने दिये गए उनमें से सभी लोग जिंदा थे और गांव में मौजूद हैं. इस मामले में सरपंच ने तत्काल जिला पचांयत ने सीईओ से शिकायत दर्ज कराई. जिला पंचायत सीईओ के निर्देश पर जांच दल ग्राम पंचायत पहुंचा और जांच शुरू की. जांच में पाया गया कि सहायक उप सरपंच, सचिव ,पीसीओ की मिली भगत से ही फर्जीवाड़े की वारदात को अंजाम दिया गया है.


ग्रामीणों का धमकी देता था सहायक सचिव
बता दें कि जांच दल को सभी पांच लोग जिंदा मिले, जिनके मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने गए थे. जांच दल ने सहायक सचिव भीकम जाटव, उप सरपंच पति पंचम वर्मा और पीसीओ जयधर राम पटेल को खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया है. ग्रामीणों ने जांच दल को बताया कि सहायक सचिव भीकम जाटव उन्हें धमकी दे रहा है. सहायक सचिव भीकम जाटव ग्रामीणों से शिकायत करने पर जहर खाकर आत्महत्या कर लेने और झूठे केस फंसाने की लगातार धमकी दे रहा है.


'विकास कार्यों की होगी जांच'
इस संबंध में जनपद भीतरवार सीईओ एलएन पिपल ने बताया कि "फर्जीवाड़े के इस मामले में जांच दल ने पांच जिंदा लोगों के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के मामले की जांच पूरी कर ली है. इन लोगों ने मृत्यु प्रमाण पत्र का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं की राशि हड़पने के लिए किया था. जिनमें से तीन लोगों के (संबल) अनुग्रह सहायता राशि दो- दो लाख रुपये स्वीकृत हुए थे." उन्होंने बताया कि "सभी प्रकरणों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है और उनके द्वारा पंचायत में किए सभी विकास कार्यों की जांच की जा रही है. फिलहाल आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं."


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