Bhind News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भिंड (Bhind) में जिला पंचायत सदस्यों ने जमकर हंगामा किया. जानकारी के मुताबिक अटेर (Ater) जिला पंचायत की साधारण सभा की पहली मीटिंग रखी गई थी. इसमें सदस्यों के परिजन प्रवेश चाहते थे, लेकिन प्रभारी सीओ ने बाहर का रास्ता दिखा दिया, जिसके बाद जिला सदस्यों ने मीटिंग का बहिष्कार कर दिया. सदस्यों ने बहिष्कार कर जिला प्रभारी सीईओ उदय सिंह सिकरवार (Uday Singh Sikarwar) पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग कर जमकर नारेबाजी की.

 

दरअसल भिंड की अटेर जिला पंचायत का अगस्त महीने में गठन होने के बाद पहली साधारण सभा की मीटिंग रखी गई थी. मीटिंग में महिला सदस्यों के साथ उनके पति और बेटे भी पहुंचे थे. इनके मीटिंग हॉल में पहुंचने के बाद प्रभारी जनपद सीईओ उदय सिंह सिकरवार ने सदस्यों के अलावा दूसरे लोगों को बाहर रास्ता दिखा दिया. इससे आक्रोशित होकर महिला-पुरुष सभी सदस्यों और अध्यक्ष के साथ-साथ उपाध्यक्ष मीटिंग का बहिष्कार कर जिला कार्यालय के बाहर जमकर नारेबाजी की. इस दौरान जिला प्रभारी सीईओ उदय सिंह सिकरवार पर परिषद को बिना विश्वास में लिए भुगतान करने का आरोप लगया. यही नहीं इसमें भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए. वहीं उनको हटाने की मांग भी कर डाली.

 


 

मंत्री अरविंद भदौरिया तक पहुंचा मामला

जिला पंचायत अध्यक्ष के बेटे विकास का कहना था कि उनकी मां की उम्र 71 साल की है. आंखों में मोतियाबिंद और पढ़ी-लिखी भी नहीं है, जिसके चलते मीटिंग में उनका बैठना आवश्यक है. इससे पता लग सके, उनसे किस प्रकार के दस्तावेजों पर दस्तखत और अंगूठा लगवाया जा रहा है. इसी वजह से मीटिंग हॉल में आए थे. प्रशासन अधिकारियों ने उनको बलपूर्वक बाहर निकालकर बेइज्जत किया है. इस वजह से जिला पंचायत सदस्यों ने मीटिंग का बहिष्कार कर दिया है. साथ ही प्रभारी सीईओ को हटाने की मांग करते हुए स्थाई सीईओ की मांग की है. सदस्यों ने अटेर विधायक और मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री अरविंद भदौरिया को भी समूचे मामले से अवगत कराया है.

 

भिंड के डीएम बोले- कोई भी मीटिंग में जाने की छूट नहीं ले सकता

हालांकि, देर शाम तक भिंड कलेक्टर ने सदस्यों के अलावा दूसरे लोगों को मीटिंग हॉल में प्रतिबंधित करने का आदेश जारी कर दिया था. भिंड कलेक्टर सतीश कुमार एस का कहना है कि उनके पास भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायत आती है, तो वह उसकी आवश्यक जांच कराएंगे, लेकिन साधारण सभा की मीटिंग में सदस्यों के अलावा दूसरे लोगों पर प्रतिबंध शासन की गाइडलाइन के अनुसार ही किया गया है. किसी भी वृद्ध और महिला होने का हवाला देकर कोई भी मीटिंग में प्रवेश पाने की छूट नहीं ले सकता है. सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए हर संभव प्रयासरत है. अगर जनता ने महिलाओं को चुना है तो उनका प्रतिनिधित्व करने का अधिकार भी उन्हीं महिलाओं को है, न कि उनके परिजन पुरुषों को है.