Jharkhand News: झारखंड हाई कोर्ट ने कथित अवैध रेत खनन के मामले में एक जनहित याचिका पर हलफनामा दाखिल नहीं करने को लेकर बुधवार को राज्य सरकार पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया. कोर्ट ने झारखंड बालू व्यापार संघ के फेडरेशन की जनहित याचिका के सिलसिले में यह आदेश सुनाया. मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आनंद सेन की खंडपीठ ने जुर्माने का आदेश दिया.


दरअसल, कोर्ट ने 22 मार्च को राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. तब खंडपीठ ने राज्य पर जुर्माना लगाया. इस याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) ने अपना हलफनामा दायर किया. जेएसएमडीसी ने अपने हलफनामे में हाई कोर्ट को बताया कि, रेत के अवैध खनन में लिप्त रेत माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में केवल 21 बालू घाटों के पास खनन के लिए उचित दस्तावेज और लाइसेंस हैं. साथ ही राज्य में रेत खदानों के आवंटन के लिए निविदाएं पहले ही जारी की जा चुकी हैं.


सरकार को रॉयल्टी में भारी नुकसान
इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील विकास पांडेय और पीयूष पोद्दार ने कोर्ट में दलील दी कि नदी के किनारे से रेत का अवैध उठाव बढ़ रहा है. उन्होंने दावा किया कि नियमों का पालन किए बिना बड़े पैमाने पर रेत खनन हो रहा है. इससे सरकार को रॉयल्टी में भारी नुकसान हो रहा है और साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है. झारखंड में अवैध खनन के आंकड़े का अंदाजा इसी से लगााय जा सकता है कि साहिबगंज में नियमों का उल्लंघन कर स्टोन चिप्स और बोल्डर का खनन कर पड़ोसी राज्यों और दूसरे देशों में भेजा जाता था.


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