Delhi News: भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय की ओर से संचालित स्वदेश दर्शन स्कीम (Swadesh Darshan Scheme) के तहत जम्मू-कश्मीर के सुचेतगढ़ (Suchetgarh) में बने भवन को लेकर बड़े पैमाने पर अनियमितता का मामला सामने आया है. सीएजी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हिमालयन सर्किट (Himalayan Circuit) के तहत आने वाले इस भवन पर बीएसएफ का कब्जा है, जो परियोजना के मकसद के ठीक उलट है.


8 राज्यों से जवाब का इंतजार


सीएजी की रिपोर्ट सामने आने के बाद केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने सितंबर 2022 में बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तराखंड और तेलंगाना की सरकारों को भी इसकी सूचना दी है. साथ ही प्रदेश सरकार से भी इसको लेकर रिपोर्ट मांगी है. केंद्र सरकार को आठ राज्यों की सरकारों से जवाब मिलने का इंतजार है. जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने इस परियोजना पर जारी कार्यों की प्रगति का मूल्यांकन नहीं किया था.


सीएजी की रिपोर्ट से खुलासा


रिपोर्ट में बताया गया है कि जम्मू-कश्मीर के सुचेतगढ़ में इस स्कीम के तहत बने भवन निर्माण का काम हिमालयन सर्किट के तहत 3.71 करोड़ की लागत से पूरा किया गया था. यहां तक सबकुछ सही है, लेकिन सीएजी की जांच में फिजिकल वेरिफिकेशन के दौरान पाया गया कि जिस भवन का निर्माण स्वदेश दर्शन स्कीम के मकसद से किया गया था, वो सीमा सुरक्षा बल के कब्जे में है. इतना नहीं, बीएसएफ द्वारा इसका इस्तेमाल भी किया जा रहा है. सीएजी की इस रिपोर्ट से भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर तैयार स्वदेश दर्शन परियोजना का मकसद ही खटाई में पड़ गया है.


100% केंद्र प्रयोजित परियोजना


बता दें कि स्वदेश दर्शन योजना 100 प्रतिशत केंद्र प्रायोजित परियोजना है. इसकी रूपरेख जनवरी 2015 में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन के बुनियादी ढांचे के विकास के मकसद से किया गया था.  मंत्रालय ने इसके तहत विकास के लिए 15 पर्यटक सर्किट की पहचान की थी. शुरुआती चरण में इस योजना के तहत कुल 76 परियोजनाएं स्वीकृत की गईं. स्वदेश दर्शन योजना के लिए जनवरी 2015 में 500 करोड़ रुपये शुरुआती बजट के रूप में जारी किया गया था. यह केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की महत्वाकांक्षी परियोजना है. इस योजना के तहत हिमालय सर्किट, उत्तर पूर्व सर्किट, कृष्णा सर्किट, बौद्ध सर्किट, तटीय सर्किट, रेगिस्तानी सर्किट, जनजातीय सर्किट, इको सर्किट, वन्यजीव सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, रामायण सर्किट, विरासत सर्किट, तीर्थंकर सर्किट और सूफी सर्किट को विकसित करने की योजना है. पर्यटन मंत्रालय ने 15 सर्किटों के लिए कुल 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी. साल 2014-15 से 2018-19 तक की अवधि के लिए 5,455.69 करोड़ रुपए खर्च करने की मंजूरी दी गई थी. 


क्या है स्वदेश दर्श स्कीम का मकसद


स्वदेश दर्शन स्कीम देशभर में पर्यटन को आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के एक प्रमुख इंजन के रूप में स्थापित करना था. युवाओं के लिए आजीविका का जरिया बनाने के साथ देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासक विरासत की पहचान को फिर से स्थापित करने के अलावे टूरिज्म को बढ़ावा देना भी इसमें शामिल है. स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से रोजगार पैदा करना एक अहम मकसद भी है.