Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में करीब 2 हजार 555 एसएमसी अध्यापक (SMC Teachers) अपने लिए स्थाई नीति बनाए जाने की मांग कर रहे हैं. यह अध्यापक 27 जनवरी से लगातार क्रमिक भूख हड़ताल पर भी बैठे हैं. शिमला में बीते दिनों हुई भारी बर्फबारी के बीच माइनस डिग्री तापमान में भी अध्यापक लगातार क्रमिक भूख हड़ताल पर डटे रहे. इन अध्यापकों की मांग है कि उनके लिए जल्द से जल्द कोई स्थाई पॉलिसी बनाई जाए, ताकि इनका भविष्य भी सुरक्षित हो सके.


एसएमसी अध्यापकों ने अक्टूबर 2023 में भी सरकार से स्थाई पॉलिसी की मांग को लेकर मुलाकात की थी, लेकिन, अब तक इसका रास्ता नहीं निकल पाया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसके लिए शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी का भी गठन किया है. इस कैबिनेट सब कमेटी में ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी सदस्य हैं.


बच्चों की पढ़ाई पर होगा असर


एसएमसी अध्यापक संघ के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने कहा कि अब मजबूर होकर अध्यापक क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. एसएमसी अध्यापकों ने फैसला लिया है कि 8 फरवरी से वह पेन डाउन स्ट्राइक पर जाएंगे. इस दौरान प्रदेश भर के अलग-अलग स्कूलों में बच्चों को पढ़ने वाले करीब 2 हजार 555 शिक्षक कक्षाओं का बहिष्कार करेंगे. एसएमसी अध्यापक संघ को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू उनकी मांग को पूरा करेंगे. एसएमसी अध्यापक संघ के इस एलान के बाद बच्चों की पढ़ाई पर इसका सीधा असर पड़ेगा. प्रदेश भर में कई ऐसे स्कूल हैं, जहां पूरे स्कूल का जिम्मा ही सिर्फ एसएमसी अध्यापकों पर है. ऐसे में बच्चों की परेशानी के साथ सरकार के लिए भी संकट पैदा होने वाला है.


साल 2012 में शुरू हुई थी नियुक्ति


साल 2012 में हिमाचल प्रदेश के दूरदराज के इलाकों के लिए एसएमसी अध्यापकों की भर्ती शुरू हुई थी. यह काम तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार में शुरू हुआ. इसके बाद प्रदेश में जब सत्ता परिवर्तन हुआ तो वीरभद्र सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने एसएमसी अध्यापकों का दायरा बढ़ाया और इन्हें सिर्फ दूरदराज के क्षेत्र में ही नियुक्ति नहीं दी, बल्कि प्रदेश के अन्य स्कूलों में भी इन्हें पढ़ाने के लिए नियुक्त किया गया. अब यह अध्यापक मांग कर रहे हैं कि इनके लिए स्थाई पॉलिसी बनाई जाए.


'कम वेतन में गुजर-बसर करना मुश्किल'


हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग स्कूलों में सेवाएं दे रहे इन एसएमसी अध्यापकों को 11 हजार रुपये से 15 हजार रुपये तक का वेतन ही मिल रहा है. स्कूलों में जब छुट्टियां होती हैं, तब भी इन अध्यापकों को वेतन नहीं दिया जाता. ऐसे में यह अध्यापक खासे परेशान हैं. एसएमसी अध्यापकों का कहना है कि इतने कम वेतन में तो घर-परिवार का गुजर-बसर भी नहीं हो पाता है. ऐसे में उन्हें मजबूर होकर अब यह कदम पड़ रहा है.


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