हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राजभवन का नाम बदलकर अब 'लोकभवन' कर दिया है. राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद जारी अधिसूचना में स्पष्ट रूप से कहा गया है.

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अब सभी सरकारी दस्तावेजों, आधिकारिक पत्राचार, वेबसाइट, रिकॉर्ड और भवन संकेतकों में राजभवन की जगह लोकभवन शब्द का उपयोग अनिवार्य होगा. इसके साथ ही प्रदेश में इस नाम परिवर्तन को औपचारिक रूप से लागू कर दिया गया है.

विभागों ने अपने रिकॉर्ड अपडेट करने का शुरू किया काम

अधिसूचना जारी होते ही सरकारी विभागों ने अपने-अपने रिकॉर्ड अपडेट करने का काम शुरू कर दिया है. राजभवन परिसर में लगे नामपट्ट, दिशासूचक बोर्ड और अन्य आधिकारिक संकेतकों को बदलने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है. संबंधित विभागों को निर्धारित समयसीमा के भीतर सभी प्लेटफॉर्म्स पर नया नाम दर्शाने के निर्देश दिए गए हैं. अधिकारियों का मानना है कि लोकभवन नाम जनता की भागीदारी और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है, इसलिए यह बदलाव समय की मांग के अनुरूप है.

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जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने हाल ही में एक नीति के तहत सभी राज्यों में राजभवन का नाम बदलकर लोकभवन करने का निर्णय लिया था. इसी क्रम में हिमाचल प्रदेश में भी यह कदम उठाया गया है. प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, यह परिवर्तन भारतीय लोकतंत्र की मूल भावना जनता सर्वोपरि को और अधिक सशक्त रूप से दर्शाता है.

वर्ष 1832 में तैयार हुआ था यह भवन

राजभवन का नया नाम चाहे आज लागू हुआ हो, लेकिन इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बेहद समृद्ध और गौरवशाली रही है. वर्ष 1832 में निर्मित यह भवन लगभग दो सदियों से अधिक पुरानी धरोहर है, जिसे शुरू में बार्नस कोर्ट के नाम से जाना जाता था. इसे ब्रिटिश सेना के कमांडर-इन-चीफ सर एडवर्ड बार्नस ने अपना आवास बनाया था. बाद में यह कई ब्रिटिश कमांडरों का आधिकारिक निवास भी बना.

साल 1966 तक यह पंजाब का ग्रीष्मकालीन राजभवन था. हिमाचल प्रदेश के गठन के बाद इसे राज्य अतिथि गृह के रूप में उपयोग में लाया गया. वर्ष 1981 में पीटरहॉफ में आग लगने के बाद राजभवन को स्थायी रूप से इसी भवन में स्थानांतरित कर दिया गया.

इसी भवन में हुआ था शिमला समझौता

इस ऐतिहासिक भवन ने कई महत्वपूर्ण क्षणों को संजोया है, जिनमें सबसे प्रमुख है 3 जुलाई 1972 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ शिमला समझौता. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो ने यहीं इस महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

भवन के अंदर सुंदर दरबार हॉल, समिति कक्ष, ब्रिटिशकालीन बिलियर्ड्स टेबल, प्राचीन हथियारों का संग्रह और परिसर में स्थित शिव व हनुमान मंदिर इसे और भी विशिष्ट बनाते हैं. नए नाम लोकभवन के साथ यह ऐतिहासिक इमारत अब आधुनिक लोकतंत्र की नई पहचान भी बन जाएगी.

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