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हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनके मंत्रिमंडल पर आपदा पीड़ितों के प्रति गंभीर न होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मंडी में जश्न मनाने की बजाय पंडोह के कुकलाह जाकर ज़मीनी हकीकत देखें, जहां पांच महीने बाद भी लोग मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं.

जयराम ठाकुर आज सराज विधानसभा क्षेत्र के कुकलाह में आपदा प्रभावित परिवारों से मिले और उनकी समस्याएं सुनीं. उन्होंने सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर जनता का दर्द आंखों से देखना है तो मंडी पड्डल मैदान रैली स्थल से मात्र 20 किलोमीटर दूर पंडोह के कुकलाह जाकर आएं."

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5 महीने बाद भी नहीं पुल

उन्होंने बताया कि 29 जून की रात बाखली खड्ड में बाढ़ आने के बाद कुकलाह का सड़क मार्ग और पुल बह गए थे. आपदा के पांच महीने बाद भी यहां एक वैली ब्रिज तक सरकार बना नहीं पाई है. इसके चलते मध्य सराज की 15 पंचायतों के लोगों को आज भी पीठ पर सामान लादकर अपने दुर्गम गाँवों तक पहुंचना पड़ रहा है.

अधिकारियों को निर्देश

उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि एक सप्ताह के अंदर सम्पर्क मार्ग बहाल किया जाए और नदी को पार करने के लिए अस्थाई पुलिया बनाकर दी जाए ताकि लोग अपने वाहन आर-पार कर सकें.

सीएम पर डींगें हांकने का आरोप

जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे डींगें तो बड़ी-बड़ी हांकते हैं लेकिन उन्हें जमीनी हकीकत की कोई जानकारी नहीं होती. ठाकुर ने सवाल किया कि आखिर मंडी में यह सरकार किस बात का जश्न मनाने आ रही है? क्या इस बात का कि आपदा पीड़ितों के जख्मों पर अभी भी मरहम नहीं लगा पाई है.

अन्य तबाह इलाके

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री साथ लगते बंजार और कुल्लू विधानसभा क्षेत्र के उन इलाकों में भी नहीं पहुँच पाए हैं जहाँ आपदा से पूरे के पूरे गाँव तबाह हुए हैं (जैसे लारजी का सारी, सैंज का मातला, बंजार का बांदल). उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के पास जनता का दुखदर्द सुनने का समय नहीं है, लेकिन जश्न मनाने के लिए करोड़ों रुपए फूंके जा रहे हैं.

'जनसंकल्प सम्मेलन' पर भी सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने जब जश्न को लेकर सवाल उठाए तो अब इस कार्यक्रम का नाम बदलकर 'जनसंकल्प सम्मेलन' कर दिया गया है. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह मंडी रैली में अपनी उन गारंटियों पर भी जनता के बीच बात रखें जिनके सहारे वे सत्ता में आए थे और अब पूरा न कर पाने पर मुंह छिपाते फिर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि इन गांवों का ही दौरा करते तो हम मानते कि आप आपदा को लेकर गंभीर थे. हालात अभी भी जस के तस हैं.