Himachal News: हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री (Mukesh Agnihotri) के छोटे से हंसते-खेलते परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है. मुकेश अग्निहोत्री की पत्नी प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री दुनिया को अलविदा कहकर पंचतत्व में विलीन हो गई हैं. सिम्मी अग्निहोत्री की मृत्यु की खबर सुनकर पूरे प्रदेश में शोक की लहर है. यह हर किसी के लिए चौंका देने वाली जानकारी थी.


12 फरवरी को हरोली में उनके परिवार में एक जागरण भी रखा था, जिसके लिए खास तौर पर उनकी बेटी आस्था विदेश से आई थीं. खुशियां मनाने के लिए एकत्रित हुए परिवार पर मानो किसी की नजर लग गई और खुशियां मातम में बदल गईं. दोपहर बाद सिम्मी अग्निहोत्री का उनके ससुराल में अंतिम संस्कार हुआ. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) भी उप मुख्यमंत्री के पैतृक गांव गौंदपुर जयचंद पहुंचे.


हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कैबिनेट में अपने सहयोगी उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का दुख बांटा. अंतिम यात्रा में मुख्यमंत्री ने प्रोफेसर सिम्मी अग्निहोत्री के देह को कंधा दिया. मुख्यमंत्री अंतिम यात्रा के दौरान उप मुख्यमंत्री का हाथ पकड़े हुए भी आगे बढ़ते नजर आए. मुख्यमंत्री ने इस दुख की घड़ी में उप मुख्यमंत्री का दुख बांटने की पुरजोर कोशिश की.


इस दौरान हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वह प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री से अपने विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान से ही परिचित थे. सिम्मी अग्निहोत्री सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं. मुख्यमंत्री ने कहा कि मुकेश अग्निहोत्री और उनकी पुत्री आस्था अग्निहोत्री को इस दुख से उबरने के लिए एक-दूसरे का साथ देना होगा. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री की आत्मा को शांति मिलने की प्रार्थना की है.


सरल स्वभाव की धनी थीं सिम्मी अग्निहोत्री


हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में लोक प्रशासन विभाग में कार्यरत थीं. सिम्मी अग्निहोत्री हर किसी से मुस्कुराकर ही मिला करती थी. तीन महीने पहले ही राज्यपाल से प्रताप शुक्ल ने उनकी एक किताब भी लॉन्च की थी. उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और सिम्मी अग्निहोत्री की का प्रेम विवाह हुआ था.


सिम्मी अग्निहोत्री हमेशा ही मुकेश अग्निहोत्री के संघर्षों में भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती रहीं. जब साल 2003 में मुकेश अग्निहोत्री ने पत्रकारिता छोड़ पहली बार चुनाव लड़ने का फैसला लिया, तब भी सिम्मी अग्निहोत्री ने उनका पूरा साथ दिया. मुकेश अग्निहोत्री तब से लेकर अब तक लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. सिम्मी अग्निहोत्री का हर राजनीतिक कार्यक्रम में भी मुकेश अग्निहोत्री को भरपूर साथ मिलता रहा. सिम्मी अग्निहोत्री के जाने के बाद अब मुकेश अग्निहोत्री और उनकी बेटी आस्था अग्निहोत्री के जीवन में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है, जिसे भरना दोनों के लिए ही बहुत बड़ी मानसिक चुनौती रहने वाला है.


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