Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश जारी कर दिया है. हाईकोर्ट ने सभी सीपीएस को मंत्रियों वाली सुविधाएं और काम लेने-करने पर रोक लगा दी हैं. लेकिन, वह सीपीएस बने रहेंगे. कोर्ट में सरकार की ओर से बताया गया था कि सभी सीपीएस कानून के अनुसार ही काम कर रहे हैं. कोर्ट को यह भी बताया गया था कि सीपीएस मंत्रियों वाली सुविधाएं भी नहीं ले रहे हैं. हालांकि उन्हें अन्य विधायकों से ज्यादा सैलेरी कानून के अनुसार ही दी जा रही है.


हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ के सामने इस मामले पर सुनवाई 12 मार्च को होगी. हिमाचल प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता अनूप रत्न की ओर से बताया गया कि इन सीपीएस को कानूनी तौर पर किसी भी तरह की मंत्रियों वाली सुख-सुविधा नहीं दी जा रही है. हिमाचल प्रदेश पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी अपॉइंटमेंट सैलरीज अलाउंस पावर्स प्रिविलेजेस एंड एमेनिटीज एक्ट, 2006 के मुताबिक सीपीएस को मंत्री की तरह कार्य करने की पहले से ही मनाही है.


असम और हिमाचल के नियमों में भिन्नता


अनूप रत्न ने कहा कि असम और हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों के लिए बनाए नियमों में भिन्नता है. इस कारण मुख्य संसदीय सचिवों को असम के नियम के दृष्टिगत हटाए जाने का कोई औचित्य नहीं है. हिमाचल प्रदेश महाधिवक्ता ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए यह स्पष्ट किया कि प्रदेश में सीपीएस के लिए बनाए गए नियम छत्तीसगढ़ की तर्ज पर है, जबकि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पहले ही सीपीएस की नियुक्ति को जायज ठहरा चुका है.


पूर्व मुख्यमंत्री ने किया आदेश का स्वागत


राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हाईकोर्ट के इन आदेशों का स्वागत किया है. जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने गलत तरीके से मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति की हुई है. इससे हिमाचल प्रदेश पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपनी करनी का भुगतान भी करना पड़ेगा.


बीजेपी विधायकों ने दी है नियुक्ति को चुनौती


गौरतलब है कि सतपाल सत्ती समेत 12 बीजेपी विधायकों ने सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती दी है. इस याचिका में अर्की विधानसभा क्षेत्र से सीपीएस संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल की नियुक्ति को चुनौती दी गई है.


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