गुजरात विधानसभा (Gujarat Assembly) में मंगलवार को सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया गया, जिसके मुताबिक सीबीएसई, आईसीएसई और आईबी बोर्डों से संबद्ध सहित राज्य के सभी प्राथमिक स्कूलों में गुजराती भाषा (Gujarati Language) को पढ़ाना अनिवार्य होगा. वहीं यदि कोई स्कूल एक वर्ष से अधिक समय तक "गुजरात अनिवार्य शिक्षण और गुजराती भाषा शिक्षण विधेयक, 2023" के प्रावधानों का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है, तो सरकार उस स्कूल की मान्यता रद्द करने का निर्देश देगी.


विपक्ष ने भी किया विधेयक का समर्थन


राज्य के शिक्षा मंत्री कुबेरभाई डिंडोर द्वारा पेश किए गए विधेयक को 182 सदस्यीय सदन द्वारा सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. विपक्षी दल कांग्रेस और आप ने भी इस विधेयक के प्रावधानों का समर्थन किया. विधेयक के अनुसार, जो स्कूल वर्तमान में गुजराती नहीं पढ़ा रहे हैं उन्हें आगामी शैक्षणिक वर्ष 2023-24 से कक्षा 1 से 8 तक के लिए गुजराती को एक अतिरिक्त भाषा के रूप में लागू करना होगा. 


प्रावधनों का उल्लंघन करने पर लगेगा जुर्मना, मान्यता होगी रद्द


शिक्षा मंत्री कुबेरभाई डिंडोर ने कहा कि गुजराती को एक अतिरिक्त भाषा के रूप में पढ़ाने के लिए प्रत्येक स्कूल को गुजरात सरकार द्वारा निर्धारित पाठ्यपुस्तकों का पालन करना होगा. उन्होंने कहा कि  राज्य सरकार इस विधेयक के प्रावधानों को लागू करने के लिए सक्षम प्राधिकारी के रूप में शिक्षा विभाग के एक उप निदेशक स्तर के अधिकारी की नियुक्ति करेगी. यदि कोई स्कूल पहली बार प्रावधानों का उल्लंघन करता पाया जाता है तो विधेयक के अनुसार उस पर 50 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा, वहीं इसके बाद उल्लंघन करने पर जुर्मान 1 या 2 लाख रुपए होगा.


जुर्माना लगाने से पहले स्कूल को दिया जाएगा सफाई पेश करने का मौका


वहीं  यदि स्कूल लगातार प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो सरकार संबंधित बोर्ड से उस स्कूल की मान्यता रद्द करने के लिए कहेगी. शिक्षा मंत्री ने कहा कि जुर्माना लगाने से पहले स्कूल को अपनी सफाई पेश करने का मौका दिया जाएगा. वैसे तो कांग्रेस ने इस बिल का समर्थन किया लेकिन साथ ही उसने बीजेपी पर आरोप भी लगाया कि सरकार ने हाल ही में इस संबंध में राज्य सरकार की 2018 की अधिसूचना के उचित कार्यान्वयन के लिए हाई कोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका के बाद ही यह फैसला लिया है. बता दें कि साल 2018 में गुजरात सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर सभी स्कूलों को कक्षा 1 से 8 तक गुजराती भाषा को एक अनिवार्य विषय के रूप में लागू करने के लिए कहा था. 


2018 की नोटिफिकेशन जैसा न हो जाए विधेयक का हाल- कांग्रेस


कांग्रेस विधायक अमित चावड़ा ने कहा कि कही इस बिल का हाल भी वैसा ही न हो जाए जैसे कि सरकार की 2018 की नोटिफिकेशन का हुआ था. उन्होंने सरकार से माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तरों पर भी गुजराती को एक अनिवार्य विषय के रूप में पेश करने का भी आग्रह किया. बता दें कि गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार से पूछा था कि स्कूलों में पढ़ाए बगैर गुजराती भाषा कैसे संरक्षित होगी. इस पर राज्य सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया था वह छात्रों के बीच गुजराती भाषा को बढ़ावा देने की नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक नियामक तंत्र स्थापित करेगी.


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