Delhi News: दिल्ली भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेता कपिल मिश्रा ने केंद्र के अध्यादेश पर अपनी पहली ​प्रतिक्रिया में कहा है कि दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था में व्याप्त कंफ्यूजन की स्थिति को दूर करने क लिए अध्यादेश लाना जरूरी था. उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता के पक्ष में PM श्री @narendramodi जी की सरकार का ये निर्णय स्वागत योग्य है. पिछले कुछ दिनों में सीएम अरविंद केजरीवाल सरकार के मंत्रियों द्वारा जिस प्रकार अधिकारियों को धमकाने, खुद के करप्शन से जुड़ी फाइलों को नष्ट करने की कोशिश और दिल्ली में अराजकता और भय फैलाने की साजिशें हुई वो सारे देश ने देखी है.


उन्होंने अपने ट्विट में कहा कि केंद्र के नये अध्यादेश के बाद दिल्ली के प्रशासन को लेकर एक स्पष्टता आएगी. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसकी आवश्यकता की तरफ इशारा किया था. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से दिल्ली प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर कंफ्यूजन था, जिसे नए अध्यादेश के द्वारा दूर कर दिया है. जिन लोगों को जनता की सेवा करनी है वो इस नये कानून का स्वागत करेंगे. जिनकों दिल्ली को लूटना था, अफसरों को धमकाना और भय का वातावरण पैदा करना था, वैसा उन्होंने किया. कपिल मिश्रा ने कहा कि आप का धरना कुछ नहीं, बस धरना करना है कि उसकी पुरानी नीति है. 



इस तरह दिल्ली नहीं चल सकती


कपिल मिश्रा ने कहा कि उनके इस तौर तरीके से देश की राजधानी नहीं चल सकती. इसलिए भारत सरकार का फैसला स्वागत योग्य है. साथ ही ये भी कहा कि केजरीवाल सरकार को उन कामों पर ध्यान देना चाहिए, जिसके लिए उनको दिल्ली की जनता ने चुनाव है. कपिल मिश्रा ने ट्विट कर कहा कि दिल्ली की जनता खुश है. भ्रष्टाचारी बिलबिला रहे हैं. कट्टर भ्रष्टाचारी खिसिया कर बाल नोच रहे हैं.


BJP के कारनामे को पूरा देश देख रहा है


इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली के अधिकारियोंकी ट्रांसफर-पोस्टिंग का लेकर जारी अध्यादेश पर मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केंद्र का फैसला सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है. देश से ऐसा छल कभी नहीं हुआ, जैसा कि अब हो रहा है. ऐसा कर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पटलने का काम किया है. वहीं आप सांसद संजय सिंह ने कहा है कि पूरा देश इसे देख रहा है कि किस तरह से पीएम और बीजेपी अध्यादेश के जरिए संविधान का गला घेटाने की कोशिश कर है। वक्त आने पर देश के लोग इस तानाशाही के खिलाफ जरूर खडें होंगे. साथ ही उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि सुप्रीम कोर्ट इसका संज्ञान जरूर लेगी.


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