Delhi News: आपने अक्सर बंदरों को अपने घरों के आसपास या कई बार अपने घर की छत पर भी देखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों वे बंदर जंगलों को छोड़ कर रिहायशी इलाके में चले आते हैं? ये सच है कि आज जंगल एरिया में कमी आती जा रही है, लेकिन जो जंगल एरिया हैं उसे छोड़ कर बंदर क्यों शहरी इलाकों में नजर आने लगे हैं, इसका सबसे बड़ा कारण है खाना! जी हां आज जो भी जंगल बचे हैं उनमें ज्यादातर में फलदार पेड़ न के बराबर हैं, जिस कारण उनके खाने की जरूरत पूरी नहीं हो पाती है और वे खाने की तलाश में रिहायशी इलाके में पहूंच जाते हैं और कई बार उत्पात भी मचाते हैं, जिससे लोगों को काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ जाता है.


वन विभाग लगा रहा फलदार पौधे


राजधानी के रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों को बंदरों के उनके घरों तक पहुंचाने की समस्या से बचाने और उनके खाने की परेशानी को दूर करने के लिए वन विभाग सेंट्रल रिज एरिया में फलदार पौधों को लगा रहा है. जिससे बंदरों को खाने की तलाश में रिहायशी इलाकों में न जाना पड़े. दरअसल रिज एरिया में ज्यादातर कीकर और लैंटाना जैसे पेड़-पौधों का फैलाव हो गया है, जो न बंदरों के ही किसी काम का है और न अन्य पशु-पक्षियों के. चूंकि ये काफी तेजी से फैलते हैं, इसलिए रिज एरिया इन से भर गया है. यही वजह है कि बंदर खाने की तलाश में रिज से बाहर निकलने लगे हैं.


जामुन-गूलर के लगाए जाएंगे पेड़


वन विभाग के अधिकारी के अनुसार, इन लैंटाना और कीकर को पूरी तरफ से साफ कर के हटाया जाएगा, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये वापस से मिट्टी के संपर्क में आ कर न पनपे. वर्तमान में रिज में दो जगहों की पहचान की गई है, जिनमें जामुन और गूलर के पौधे लगाए जा रहे हैं, जिससे बंदरो समेत अन्य वन्य जीवों को भोजन मिल सके. आने वाले समय मे और भी जगहों को चिन्हित कर वहां फलदार पेड़ लगाए जाएंगे. हालांकि, इन पेड़ों के फल देने में अभी 4-5 साल का वक़्त लगेगा, लेकिन इसकी शुरुआत अभी से ही कि जा चुकी है, जिससे बंदरों को उनके प्राकृतिक आवास में ही खाना मिल सके.


10 छोटे तालाबों का भी किया निर्माण


जैव-विविधताओं को बढ़ाने और जंगली-जानवरों की पानी की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए रिज में 10 छोटे तालाबों का भी निर्माण किया गया है. इसके अलावा लंबे समय से रिज एरिया में फेंके जा रहे कूड़े को भी साफ करके हटा दिया गया है और उस जगह का सौंदर्यीकरण किया गया है. उस तीन किलोमीटर के एरिया में चार लाईनों में पौधों को लगाया गया है. वहीं रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट के तहत सेंट्रल रिज में वॉकिंग ट्रैक भी बनाये जा रहे हैं, इसके लिए कीकर को हटा कर जगह बनाई जा रही है.