सरकार ने संसद में बताया है कि पिछले पांच सालों में आटा, गेहूं, चावल और दाल सहित सभी खाने वाली चीजों के खुदरा मूल्य में कितनी वृद्धि हुई है. दरअसल संसद में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और असम से सांसद श्री एम. बदरुद्दीन अजमल ने वस्तुओं के बढ़ते कीमत पर सवाल पूछा था. उन्होंने खाद्य मंत्री से सवाल किया कि चावल, दाल, खाद्य तेल, आलू और प्याज समेत खाने वाली चीजें कितनी महंगी हुई हैं. इन्हीं सवालों का जवाब संसद में सरकार ने दिया है. 


चना दाल हुआ सस्सा



  • इन सवालों के जवाब में सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने पांच सालों का डेटा प्रस्तुत किया जिसमें 22 खाद्यान्नों का मासिक औसत खुदरा मूल्य बताया.

  • सरकारी द्वारा जारी डेटा के अनुसार पिछले पांच सालों में चने की दाल सस्ती हुई है. 2016 में चना दाल का दाम 98.21 रुपये था वहीं 2021 में इसके कीमत घटकर 75.79 रुपये हो गई. अगर 2017 की बात करें तो चना दाल का दाम 80 रुपये, 2018 में 65.11 रुपये,  2019 में 65.92 रुपये और 2020 में 70.42 रुपये था. 


यह भी पढ़ें- पिछले पांच सालों में कितना महंगा हुआ गेहूं, चावल और आटा? सरकार ने खुद बताया है, जानिए


2016 से लेकर 2021 तक दाल की कीमत



  • अरहर दाल की दाल भी पांच साल में सस्ती हुई है. 2016 में अरहर की दाल 121.19 रुपये किलो मिल रही थी जो 2021 में घटकर 105 रुपये हो गया. 2017 में अरहर दाल का दाम 78.66 रुपये, 2018 में 71.17 रुपये, 2019 में 84.90 रुपये और 2020 में 99.57 रुपये था.

  • पांच सालों मे मूंग की दाम में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. 2016 मूंग दाल की कीमत 89.14 रुपये थी. 2021 में मूंग दाल की कीमत 14 रुपये बढ़कर 103.50 रुपये हो गई थी. वहीं 2017 में मूंग दाल की कीमत 76.24 रुपये, 2018 में 74.03 रुपये, 2019 में 86.27 रुपये और 2020 में 106.01 रुपये थी. 

  • अगर मसूर दाल की कीमत की बात करें तो पिछले पांच सालों में इसके भी दाम में बढ़ोत्तरी हुई है. 2016 में मसूर दाल की कीमत 81.60 रुपये थी वहीं 2021 में बढ़कर 103.50 रुपये हो गई. हालांकि 2017 में मूंग दाल की कीमत 66.81 रुपये, 2018 में 61.33 रुपये, 2019 में 64.12 रुपये और 2020 में 78.04 रुपये थी.


यह भी पढ़ें


Punjab Election 2022: क्या सीएम उम्मीदवार तय करने के लिए सर्वे करवा रही है कांग्रेस? पार्टी ने इस बात पर दी सफाई


UP Election 2022: जानिए- अपना दल (के) और समाजवादी पार्टी के झगड़े में किसे होगा नुकसान?