Kapil Sibal News: लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए देश का सियासी ताना-बाना फिर से बुना जाने लगा है. सत्ताधारी पार्टी बीजेपी की तीसरी बार लगातार केंद्र की सत्ता पर काबिज होने को लेकर सक्रियता चौंकाने वाली है, वहीं विपक्ष भी केंद्र सरकार को सत्ता से बेदखल करने की मुहिम में जुटी है. चर्चा ये भी है कि इस बार कांग्रेस (Congress) क्या भूमिका निभाएगी और अन्य विपक्षी दल एक मंच पर दिखाई देंगे या नहीं. इन्हीं पहलुओं पर एबीपी लाइव से बातचीत के क्रम में देश के जाने माने अधिवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने बेबाकी से अपनी राय रखी. 


उन्होंने गांधी परिवार, कांग्रेस की लोकसभा चुनाव में भूमिका, राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता समाप्त होने, विपक्षी एकता जैसे मुद्दों पर खुद का अनुभव साझा करे हुए कहा कि राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता का समाप्त होना गलत फैसला है. यह कानून के सिद्धांतों के खिलाफ है. ऐसा लगता है कि कुछ लोग चाहते हैं कि इनकी सदस्यता जाए. उन्होंने वह हासिल कर लिया. हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट उन्हें राहत दे, यह मेरी कामना है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान के संदर्भ में अगर बीजेपी वालों की बात को मान भी लें तो इस मामले में जिनकी मानहानि हुई, वह तीनों मोदी हैं. तीनों मोदी में से किसी ने याचिका दायर नहीं की. दरअसल, बीजेपी नेता यह साबित करना चाहते हैं कि उनके बयान से पूरे मोदी समाज की मानहानि हुई. कोर्ट को यह मालूम है कि जब तक दो साल की सजा नहीं दी जाएगी तब तक राहुल गांधी की सदस्यता नहीं जाएगी. यही वजह है कि कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं. सवाल वाजिब भी हैं. 



यह मामला राहुल गांधी के बयान तक सीमित नहीं है. कुछ लोग राहुल गांधी को टारगेट कर रहे हैं. उनके खिलाफ कई मुकदमे हैं. वर्तमान केंद्र सरकार कांग्रेसमुक्त नहीं, बल्कि विपक्ष मुक्त भारत चाहती है. यही वजह है कि बीजेपी सबको टारगेट करने में जुटी है. उत्तराखंड, एमपी, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में चुनी हुई सरकारों को गिराई गई. गोवा में कांग्रेस के पास बहुमत था, लेकिन राज्यपाल ने किसी और को सरकार बनाने के लिए बुलाया. दरअसल, इस मुहिम से जुड़े लोग हिंदुस्तान में बीजेपी के सिवा कुछ नहीं देखना चाहते.


50 से कम सीटों को पार्टी की उपलब्धि कैसे मान लें


जब उनसे यह पूछा गया कि राजस्थान में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच आप ने ट्वीट किया था कि क्या कांग्रेस तब जागेगी जब अस्तबल से घोड़े निकल जाएंगे. क्या आपको लगता नहीं कि कांग्रेस सुस्त मूड में रहती है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यदि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की 50 से कम सीटें आई हैं, तो क्या हम उसे पार्टी की बड़ी उपलब्धि मान लें! क्या कांग्रेस कमजोर नहीं हुई. अगर आप कांग्रेस का इतिहास पलटेंगे तो आपको पता चल जाएगा, कांग्रेस मजबूत हुई है या कमजोर. आज मैं कांग्रेस में नहीं हूं. यदि में कांग्रेस में होता तो आधिकारिक रूप से कुछ कहता. यह उनका अंदरूनी मामला है. हां, राजस्थान की टिप्पणी के वक्त मैं कांग्रेस में था. आज जिस परिवार से मैं जुड़ा नहीं हूं उसके बारे में कोई टिप्पणी क्यों करूं? 


बीजेपी राज में जो हो रहा है, क्या हम उसे सही मान लें


बीजेपी सरकार की कार्यशैली को लेकर पूछे जाने पर कहा कि मैं तो तानाशाही के खिलाफ हूं. मैं तो बीजेपी के खिलाफ हूं. बीजेपी की नीतियों के खिलाफ हूं. यह पूछे जाने पर कि बीजेपी में ऐसा क्या कर रही है जिससे आपको तानाशाही लग रही है? तंजिया लहजे में इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि बीजेपी बहुत अच्छा काम कर रही है. आज मीडिया का मुंह बंद है. क्या इसे मैं उनका अच्छा काम मान लूं. विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी, और सीबीआई का इस्तेमाल हो रहा है. क्या इसे अच्छा काम मान लिया जाए. अब वो झारखंड और छत्तीसगढ़ में सरकार गिराने में लगे हैं. मीडिया के लिए भी नोटिफिकेशन जारी कर दी कि कौन-सा कंटेंट सोशल मीडिया में दिखाया जाएगा? आप ही बताएं, जिस तरह से एनकाउंटर हो रहा है, क्या वो भी सही है. 


मैं, सिर्फ साधन बन सकता हूं


विपक्षी एकता के सवाल पर उन्होंने कहा कि माहौल बन रहा है, लेकिन कौन विपक्ष की एकता का संयोजक बने, यह मैं नहीं कह सकता. यह तो विपक्ष को मिलकर तय करना होगा. सभी सियासी दलों को यह तय करना होगा कि  कैसे आगे बढ़ा जाए? इस राह में मैं केवल एक साधन बन सकता हूं. विपक्षी एका के एिल फार्मूले को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि जवाब- मैं चाहता हूं विपक्ष एक मंच पर आए. मैंने एक शुरुआत की थी. मैंने प्लेटफार्म लॉन्च किया था insafkesipahi.co.in. विपक्ष एक साथ बोल रहा है, लेकिन उसे एक मंच पर आने की भी जरूतर है. 


ऐसे में अमृतकाल के सपने नहीं होंगे पूरे


वर्तमान में देश का जैसा माहौल है, वैसा नहीं होना चाहिए, देश एक परिवार जैसा होता है. एक छोटा-सा परिवार है. परिवार में जब लोग एक साथ नहीं चलेंगे तो परिवार कभी सफल नहीं हो सकता. परिवार कभी उन्नति नहीं कर सकता. पीएम मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा कि अगर देश एक साथ नहीं चलेगा तो अमृतकाल में जो सपने देखे जा रहे है. वो पूरा नहीं हो पाएगा.


अतीक की हत्या का क्या मतलब निकालें?


अतीक अहमद के एनकाउंटर को बतौर वकील उनका मानना है कि जब भी कोई आरोपी कस्टडी में हो, तो उसे सुरक्षा मुहैया कराना पुलिस की जिम्मेदारी होती है. रात को 10 बजकर 30 मिनट पर कौन सी मेडिकल इमरजेंसी थी? जो अतीक को अस्पताल ले जाना पड़ा. यह तो कोई नहीं पूछ रहा कि डॉक्टर क्यों जेल में नहीं गया? दोनों भाईयों को एक साथ इमरजेंसी कैसे पड़ गई? फिर जब पुलिस लेकर गई, तो बाकी लोगों को कैसे पता चला? आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि मुझे जान का खतरा है. पुलिस को भी मालूम था. तब उसे रात के अंधेरे में क्यों लाया गया? ऐसे मामले में तो किसी को पता भी नहीं चलता कि कैसे अस्पताल पहुंचा? फिर उन्होंने अस्पताल के गेट पर उन्हें  दरवाजे से बहुत दूर उतारा. मीडिया भी वहीं था. तीनों वहां एक साथ कैसे पहुंच गए? फिर तीनों जय श्रीराम बोलते रहे. इसका क्या मतलब है? 


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