Delhi News: दिल्ली में यमुना सफाई अभियान राजनीति का अखाड़ा बन गया है. कितने सरकारें आईं और यमुना सफाई और उसके सौंदर्यीकरण को लेकर बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन दिल्ली वालों को यमुना कभी गंदे नाले से ज्यादा बेहतर नहीं दिखी. पहली बार दिल्ली के LG ने इस मुहिम का बीड़ा उठाया और अधिकारियों के साथ लगातार यमुना सफाई के कार्यों पर पैनी नजर बनाये रखा. नतीजा यह निकला कि अब यमुना नदी बेहतर स्थिति में दिखने लगी है. 


यमुना नदी में आए इस बदलाव के बाद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने उपराज्यपाल की सराहना की है. इसके उलट उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर दिल्ली की जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है. 


1200 मीट्रिक टन कचरा निकालने का दावा


दिल्ली के प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार की नाकामियों के कारण यमुना नदी में बढ़ती गंदगी को सफाई करने की दिल्ली के उपराज्यपाल पहल सराहनीय है.  उन्होंने 12 फरवरी से शुरु हुए यमुना सफाई अभियान के तहत 1200 मीट्रिक टन कचरा निकालने का दावा किया. दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यमुना से गंदगी निकालकर सफाई करने से यमुना का पानी स्वच्छ तब तक नहीं होगा जब तक दिल्ली सरकार यमुना में गिरने वाले सीवर को ट्रीट करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर्याप्त मात्रा में नहीं बनाऐगी.


दिल्ली सरकार के 6800 करोड़ के खर्च से भी यमुना रही जस की तस


अनिल चौधरी ने कहा​ कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 2015 में सत्ता में आते ही 5 महीनों में यमुना को साफ करने का दावा किया था. उन्होंने कहा था, हम यमुना के पानी को इतना स्वच्छ बनाऐंगे, जिसमें मैं डुबकी लगाकर दिखाउंगा. परंतु पिछले 9 वर्षों में एसटीपी क्षमता बढ़ाने की दिशा में कोई काम उनकी सरकार ने नहीं किया. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने यमुना सफाई पर 6800 करोड़ रुपये खर्च किए है, परंतु यमुना में गंदगी जस की तस है. यमुना नदी का पानी प्रदूषित ही नहीं जहरीला हो चुका है.


564 एमएलडी पानी ट्रीट करने का लक्ष्य अभी तक नहीं हुआ पूरा 


यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड ने औखला में 110 एकड़ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य था, जबकि इससे पूर्व मई 2021 में औखला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम पूरा करने दावा किया था. परंतु यमुना में बहने वाले सीवेज को 564 एमएलडी प्रतिदिन क्षमता से ट्रीट के काम अभी पूरा नहीं हुआ है, जो केजरीवाल सरकार की बड़ी विफलता का प्रतीक है. इस परियोजना से सेंट्रल व साउथ दिल्ली के नालों का सीवेज ट्रीट करने की योजना थी, जिसको दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार के चलते समय पर पूरा नही किया जा सका है. उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड ने नजफगढ़ जोन में 14 मिनी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण को मंजूरी दी थी, जिस पर अभी तक काम शुरु नहीं हो पाया है. 


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