Delhi Crime: दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-1 थाने की पुलिस टीम ने एक शख्स के कोल्ड ब्लडेड मर्डर के मामले को 12 घंटों के अंदर सुलझाते हुए हत्या के दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपियों की पहचान पीयूष कुमार उर्फ सुमन कुमार और विक्रम साह के रूप में हुई है. दोनों में से एक आरोपी बिहार के मुंगेर और दूसरा मधुबनी जिले का रहने वाला है. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, 03 जनवरी को जीके-1 थाने की पुलिस को हॉस्पिटल से एक एमएलसी रिपोर्ट मिली थी, जिसमें दिल्ली के जमरुदपुर के रहने वाले अजय दास नाम के शख्स को मृत अवस्था में हॉस्पिटल लाये जाने की सूचना प्राप्त हुई थी.


मृतक शख्स मूल रूप से झारखंड के धनबाद का रहने वाला था और जीके-1 में प्लेसमेंट एजेंसी चलाता था. वह बिहार से बेरोजगार युवकों और युवतियों को दिल्ली में कमीशन बेसिस पर प्राईवेट जॉब दिलाता था. इस काम से वह हर महीने 70-80 हजार रुपये कमाता था. इससे पहले वह अमर कॉलोनी थाना के कैंटीन में हेल्पर के रूप में काम करता था.


पोस्टमॉर्टम में गला दबाए जाने और जहर दिए जाने का चला पता
शुरुआती जांच में पुलिस को उसकी मौत में कुछ भी संदेहास्पद नजर नहीं आया लेकिन जब उसकी बॉडी की बारीकी से जांच की गई तो उसके गले पर लाल रंग का निशान नजर आया जिसके बाद पोस्टमार्टम में उसके गले को दबाए जाने और जहर दे कर मारे जाने का पता चला चला


एसीपी की देखरेख में टीम का गठन
इसके बाद पुलिस ने मृतक की पत्नी सुनीता दास से पूछताछ की और उनके बयान के आधार पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीपी सीआर पार्क मनु हिमांशु की देखरेख में एसएचओ अजित कुमार के 1 नेतृत्व में 4 टीम बनाई गईं जिसमें इंस्पेक्टर प्रेम सिंह, इंस्पेक्टर जय प्रकाश, एसआई श्रीभगवान, वरुण, पीसी शर्मा, एएसआई कलमलेश, अजय, एचपी तिवारी और अन्य पुलिसकर्मी सामिल थे. 


65 सीसीटीवी फुटेज और सीडीआर से दो संदिग्धों का चला पता
जांच के दौरान पुलिस ने सभी संदिग्धों से पूछताछ की लेकिन पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगा जिसके बाद पुलिस टीम ने लगभग 65 सीसीटीवी कैमरों की फुटेजों की जांच की जिसमें मृतक अजय दास की मौत से 12 घंटे पहले तक के हर मूवमेंट की बारीकी से जांच की गई. इसके अलावा संबंधित लोगों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड को भी प्राप्त कर उनका विश्लेषण किया गया. साथ ही एफएसएल की टीम को मौके पर बुला कर जांच और फ़ोटोग्राफी भी कराई गई.


पूछताछ में टूटे आरोपी, कबूली हत्या की बात
जांच में पुलिस टीम ने दो लोगों पीयूष और विक्रम की गतिविधियों को संदेहास्पद पाया जिस पर पुलिस ने दोनों संदिग्धों से अलग-अलग सख्ती से पूछताछ की. इसके बाद दोनों आरोपी टूट गए और दोनों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर अजय की हत्या करने की बात कबूल की.


पिछ्ले कुछ महीनों से थे बेरोजगार
पीयूष ने बताया कि वो पिछले साल मार्च में दिल्ली आया था. तब अजय ने तकिया बनाने की फैक्ट्री की कैंटीन में उसकी जॉब लगवाई थी लेकिन पिछले 2 महीनों से उसके पास कोई काम नहीं था और वो अजय के साथ ही रह रहा था, जबकि विक्रम पिछले साल अप्रैल में दिल्ली आया था और अजय दास ने उसे आनंद विहार रेलवे स्टेशन में काम दिलाया था लेकिन पिछले साल जून महीने से उसके पास भी कोई काम नहीं था और वो भी अजय के साथ ही रहता था. मृतक अजय दास विक्रम के जीजा का छोटा भाई था, इसलिए वो अजय को जीजा और उसकी पत्नी सुनीता को दीदी बुलाता था.


प्लेसमेंट एजेंसी पर कब्जा जमाने के लिए रची हत्या की साजिश
आरोपियों ने बताया कि मृतक अजय जब नशे की हालत में होता था तो उनके साथ गाली-गलौज और उनकी पिटाई भी करता था जिससे वो काफी खिन्न हो गए थे, इसलिए उन्होंने एक सप्ताह पहले उसे मार कर उसकी प्लेसमेंट एजेंसी पर कब्जा जमाने की साजिश रची. इसके लिए विक्रम गाजीपुर से जहरीला तरल खरीद कर लाया. आरोपियों ने योजना के तहत 2/3 जनवरी की रात सुनीता के काम पर जाने के बाद करीब डेढ़ बजे जहां विक्रम ने तकिए से अजय का मुंह दबा दिया, वहीं  पीयूष ने उसके गले पर मारा और फिर उसके मुंह में जहरीला लिक्विड डाल दिया जिससे उसकी मौत हो गई. इस मामले में पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और आगे की जांच में जुट गई है.


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