Maternity Leave Rules : मां बनना हर महिला के लिए एक सुखमय एहसास होता है. ऐसे में हर कामकाजी महिला अपने काम के साथ बच्चे को भी पूरा वक्त देना चाहती हैं. इसलिए भारत में दिल्ली समेत कई राज्यों में कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश का प्रावधान है. अगर आप भी एक कामकाजी महिला है तो चलिए बताते हैं आपको मातृत्व अवकाश से जुड़े सभी नियम और कानून....


मातृत्व अवकाश क्या है?


मातृत्व अवकाश या मैटरनिटी लीव वो है, जिसके तहत एक महिला कर्मचारी को उसकी गर्भावस्था, बच्चे के जन्म और उसकी शुरुआती देखभाल के लिए छुट्टी दी जाती है. महिलाओं को इस अवकाश के लिए उसकी कंपनी पैसों का भुगतान भी करती है. यानि इस लीव में महिलाओं को उनकी पूरी सैलरी दी जाती है.


जानिए कौन है इस लीव के पात्र


मातृत्व लाभ संशोधन अधिनियम 2017 के तहत इस लीव का लाभ वो ही महिलाएं उठा सकती है जिसने कर्मचारी के रूप में मौजूदा कंपनी में पिछले एक साल में 80 दिन तक काम किया हो. अवकाश की अवधि के दौरान भुगतान दैनिक मजदूरी (Daily Wages) पर आधारित है.


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कितनी है मातृत्व अवकाश की अवधि ?


मातृत्व लाभ संशोधन अधिनियम 2017 के तहत अब महिलाओं की इस लीव की अवधी 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दी गई है. हालांकि जो महिला अपने तीसरे बच्चे को जन्म देने जा रही हो, उनके लिए मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह तक की ही होगी.


जानिए कब ले सकते हैं ये लीव


इस अधिनियन के तहत महिलाएं ये लीव डिलीवरी की अनुमानित तारीख से आठ हफ्ते पहले और डिलीवरी होने के बाद ले सकती हैं. इसी के साथ जो महिलाएं तीसरे बच्चे को जन्म दे रही हैं वो डिलीवरी से 6 हफ्ते पहले और 6 हफ्ते बाद मातृत्व अवकाश ले सकती हैं. इसके अलावा बच्चा गोद लेनी वाली महिलाएं इस लीव को गोद लेने की तारीख से शुरू कर सकती हैं. कमिशनिंग माताएं भी बच्चा प्राप्त करने की तारीख से अवकाश का लाभ ले सकती हैं.


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