Delhi Exhibition: दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेण्टर में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है. इसका उद्घाटन 18 फ़रवरी की शाम को किया गया. प्रदर्शनी 26 अप्रैल तक रहेगा. इसका आयोजन मुस्लिम विमेंस फ़ोरम ने किया है. प्रदर्शनी का शीर्षक है "पाथब्रेकर्स-2.0, पायनियरिंग वीमेन इन द परफॉर्मिंग आर्ट." यह प्रदर्शनी दस महिलाओं के अपने कार्यक्षेत्र में दिए गए बहुमूल्य योगदान के बारे में हमें परिचय कराता है. ये सभी महिलायें मुख्यरूप से कला जगत से और विशेष रूप से सिनेमा जगत से सम्बंधित हैं. 


इन सभी की सक्रियता सिनेमा जगत के शुरूआती दौर से लेकर बीसवीं सदी का पूर्वार्ध तक है. इस प्रदर्शनी के आयोजन के लिए मुस्लिम विमेंस फोरम को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत अनुदान प्राप्त हुआ है. 


महिलाओं के योगदान को लेकर प्रदर्शनी


यूं तो महिलाओं के अपने अधिकारों के लिए किये गए संघर्ष का अपना स्वर्णिम इतिहास है उनकी गौरवपूर्ण गाथा है. लेकिन अगर देखा जाए तो महिलाओं ने अपने अधिकारों की लड़ाई उसी दिन से शुरू कर दी थी जिस दिन से उनको बेड़ियों में जकड़ने की कोशिश की गई थी. उनकी इस संघर्ष की बहुत सी नायिकाओं के संघर्ष तो दर्ज कर लिए गए हैं. लेकिन बहुत सी ऐसी भी नायिकाएं हैं जिन्हें या तो भुला दिया गया है या फिर उन्हें पर्याप्त स्थान संघर्ष की गाथाओं में नहीं दिया गया है.


ऐसे ही महिलाओं के योगदान को इस प्रदर्शनी के ज़रिये मंज़र-ए-आम पर लाने की कोशिश की गई है. इस मौक़े पर प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए मुस्लिम विमेंस फ़ोरम की प्रेसिडेंट डॉ. सैय्यदा हमीद ने इसके आयोजन के उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि “इस आयोजन के ज़रिये हम इन सभी महिलाओं के न सिर्फ़ कामों को याद करने की कोशिश कर रहे हैं बल्कि इनके कामों से नई पीढ़ी को अवगत भी करा रहे हैं ताकि वो भी इनसे प्रेरणा ले सकें.“ 


उन्होंने बताया ''ये तो एक तरह से पूर्व प्रदर्शनी है. आगे अभी इसका और भी भव्य आयोजन किया जाएगा जिनमें और भी ऐसी ही कला जगत की महिलाओं को सम्मिलित करने की योजना है.'' उन्होंने यह भी बताया कि हमारी संस्था न सिर्फ़ मुस्लिम महिलाओं के बल्कि उन सभी महिलाओं के हक़ में आवाज़ उठाती रही है जिनके आवाज़ को या तो दबाने की कोशिश की जाती है या फिर अनसुना कर दिया जाता है.


इससे पहले मुस्लिम विमेंस फ़ोरम ने पाथब्रेकर्स-1 का आयोजन 2018 में किया था. इसमें समाज और राजनीति से जुड़ी उन महिलाओं को शामिल किया गया है जिनका कालखंड आज़ादी के बाद से लेकर बीसवीं सदी के अंत तक का रहा है.  


इस प्रदर्शनी में जिन दस महिलाओं को शामिल गया है उनमें गौहर जान हैं, जिन्होंने भारत में पहला गाना रिकॉर्ड कर रिकॉर्डिंग करने वाली पहली सिंगर बनीं. क़ुदसिया ज़ैदी जो कि आज़ाद भारत की शुरूआती थिएटर आर्टिस्ट में से थीं. उन्होंने व्यावसायिक थिएटर कंपनी 'हिन्दोस्तां' की स्थापना की थी.


दुर्गाबाई कामत और उनकी पुत्री कमला बाई गोखले हिंदी सिनेमा की अग्रणी कलाकारों में से थीं. फ़ातिमा बेगम पहली महिला प्रोड्यूसर-डायरेक्टर थीं. इशरत सुल्ताना जिन्हें बिब्बो नाम से प्रसिद्धि मिली. उन प्रारंभिक लोगों में शामिल हैं जिन्होंने फिल्मों में संगीत दिया था. जद्दन बाई हिन्दुस्तानी क्लासिकल संगीत की शिक्षा उस्ताद मोइज़ुद्दीन ख़ान से हासिल किया था. उच्च कोटि की गायिका थीं. इस प्रदर्शनी में अज़ूरी, जहाँआरा कज्जन, सुलोचना और दुर्गा खोटे जैसी हस्तियाँ भी शामिल की गईं हैं.


पाथब्रेकर्स-2.0 प्रदर्शनी के क्यूरेटर्स रनेश रे और सुखप्रीत कहलोन हैं. रनेश रे ने कहा कि "इन महिलाओं के कामों से लोगों को अवगत कराने का इससे अच्छा तरीक़ा नहीं हो सकता है. इसलिए हमने इस प्रदर्शनी का आयोजन किया है." सुखप्रीत कहलोन ने बताया कि हम आगे भी इस तरह का आयोजन न सिर्फ़ दिल्ली में बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में भी करेंगे. ताकि इन बहुमुखी प्रतिभा की महिलाओं से लोगों परिचय कराया जा सके. (रेयाज अहमद की कलम से)