Delhi CM Arvind Kejriwal: दिल्ली का सर्विस विवाद मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार लगातार इसका विरोध कर रही है. इसी कड़ी में आप संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने अध्यादेश के खिलाफ 11 जून को रामलीला मैदान (Ramlila Maidan) में महारैली की. सीएम केजरीवाल ने रामलीला मैदान में बुलाई गई महारैली को लेकर दावा किया है कि इस अध्यादेश के खिलाफ बीजेपी (BJP) के लोग भी हैं.


सोशल मीडिया पर जारी संदेश में सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि "अध्यादेश के ख़िलाफ़ कल रामलीला मैदान की रैली में बीजेपी के भी कई लोग आये." उन्होंने दावा किया कि "बीजेपी वाले भी कह रहे हैं - मोदी जी ने ये अध्यादेश लाकर सही नहीं किया." इससे पहले 11 जून को आयोजित रैली में अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री मोदी पर जमकर हमला बोला. रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि 12 साल पहले करप्शन के खिलाफ इकट्ठा हुए थे. आज इस देश से एक अहंकारी तानाशाह को हटाने के लिए इकठ्ठा हुए हैं. इस दौरान सीएम केजरीवाल ने आप के सीनियर नेता और दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को लेकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा.



सुप्रीम कोर्ट ने कहा जनता है सुप्रीम- अरविंद केजरीवाल


बीते 11 जून को रामलीला मैदाने अध्यादेश के खिलाफ बुलाई गई रैली को संबोधित करते हुए दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 11 मई को देश की सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के हक में फैसला दिया और 19 मई को मोदी सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया. 75 साल में ऐसा पीएम आया है जो कहता है कि मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानता. आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, देश के अंदर जनतंत्र खत्म हो रहा है, इसी को तानाशाही और हिटलरशाही कहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जनता सुप्रीम है. मोदी जी का अध्यादेश कहता है कि दिल्ली की जनता सुप्रीम नहीं है एलजी सुप्रीम है.


क्या है केंद्र सरकार का अध्यादेश?


दिल्ली सरकार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बीते 11 मई को देश की सर्वोच्च न्यायलय (सुप्रीम कोर्ट) ने कहा था कि राजधानी दिल्ली अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का आधिकार दिल्ली सरकार को है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को 19 मई को केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाकर पलट दिया. केंद्र के अध्यादेश के मुताबिक अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा अंतिम निर्णय लेने का हक उपराज्यपाल को वापस दे दिया गया है. यानी अब उपराज्यपाल अधिकारियों की पोस्टिंग या ट्रांसफर करेंगे. 


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