दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव के नतीजों के साथ ही लंबे समय से चल रही खींचतान का अंत हो गया. लेकिन अब स्थायी समिति पर बर्चस्व की लड़ाई शुरू होगी, जिसके लिए वार्ड कमेटियों में चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन बनाने के साथ ही वार्ड कमिटी से स्थायी समिति के लिए सदस्य चुनने के लिए भाजपा और आप के बीच फिर से राजनीतिक खेल शुरू हो होगा. नगर निगम के चुनाव में मात्र आठ सीटें जीतने वाली कांग्रेस के पास इस समय स्थायी समिति के सत्ता की चाभी है. कांग्रेस के पार्षद जिस पार्टी को समर्थन देंगे, स्थायी समिति पर कब्जा करने का रास्ता उसका साफ हो जाएगा.


गेंद निगमायुक्त के पाले में


सुप्रीम कोर्ट में एल्डरमैन (मनोनीत सदस्य) की नियुक्ति का मामला भले ही लंबित चल रहा है, लेकिन स्थायी समिति के गठन पर रोक नहीं है. ऐसे में वार्ड कमेटी से लेकर स्थायी समिति के गठन की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है. स्थायी समिति के लिए चुने जाने वाले सदस्यों के चुनाव का नतीजा जारी होने के बाद गेंद अब निगमायुक्त ज्ञानेश भारती के पाले में है. एमसीडी प्रक्रिया एवं कार्यसंचालन विनियम-1958 अनुच्छेद-52 के तहत अब वार्ड कमेटी के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के साथ ही स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव के लिए 12 वार्ड कमेटी के चुनाव की तारीख निगमायुक्त को तय करनी होगी.


रामवीर सिंह बिधूड़ी ने पूछा- उनके मंत्रियों को जमानत क्यों नहीं मिल रही, सीएम केजरीवाल चुपचाप जनता के सवालों का दें जवाब  


पीठासीन अधिकारी को लेकर फिर हो सकता है विवाद


लेकिन, निगमायुक्त द्वारा वार्ड कमेटियों के चुनाव की तारीख तय करने के बाद अनुच्छेद-53 के तहत मेयर को इन चुनावों के पीठासीन अधिकारी तय करने होंगे. जिस पर भी विवाद हो सकता है, क्योंकि आप चाहती है कि कई कमेटियों और स्थायी समिति के गठन का चुनाव तभी हो, जब सुप्रीम कोर्ट से एल्डरमैन (मनोनीत सदस्य) की नियुक्ति संबंधी लंबित मामले का निर्णय आ जाये.


एल्डरमैन ने वोट दिया तो भाजपा का पलड़ा होगा भारी


नगर निगम की स्थायी समिति के गठन के लिए सबसे अहम भूमिका एल्डरमैन की होने वाली है. जब तक सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश इस संबंध में नहीं आ जाता है, तब तब भाजपा का ही पलड़ा भारी रहेगा. कुल 12 वार्ड कमेटी में से भाजपा के पास चार में बहुमत है, जबकि आठ में आप को बहुमत मिला है. लेकिन, भाजपा ने अपने एल्डरमैन के तौर पर पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को कुछ इस तरह से नियुक्त किया है कि तीन जोन (मध्य नरेला और सिविल लाईन्स) के समीकरण बदल गए है और भाजपा का पलड़ा भारी हो गया है. एल्डरमैन की नियुक्ति से भाजपा सिविल लाइन्स जोन में बहुमत में है, जबकि नरेला जोन में बराबर का मामला है और मध्य जोन में कांग्रेस के पार्षदों पर निर्भर है कि वह किसे वोट करेंगे. अगर कांग्रेस भाजपा के पक्ष में वोट देती है तो जीत भाजपा की होगी.


वार्ड कमेटियों में पार्षद और मनोनीत सदस्य करते हैं वोट


हर वार्ड कमेटी की क्षेत्र सीमा तय है. उस क्षेत्र सीमा के अधीन आने वाले पार्षद ही उस वार्ड कमेटी के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के साथ स्थायी समिति के सदस्य के लिए वोट करते हैं. अभी तक एल्डरमैन (मनोनीत सदस्य) के पास भी वार्ड कमेटी में वोट डालने का अधिकार प्राप्त है. 6 सदस्यों की स्थायी समिति के चुनाव के नतीजों के बाद आगे 12 वार्ड कमेटियों में चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन चुनने के साथ स्वायी समिति के सदस्यों का चुनाव होगा. 18 सदस्य जो चुनकर आएंगे वह स्थायी समिति का चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन चुनेंगे.