Sukma News: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बस्तर के आदिवासी नेता मनीष कुंजाम ने संगठन के सभी पदों से अपना इस्तीफा दे दिया है, जिससे CPI  पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है. दरअसल, लंबे समय से मनीष कुंजाम CPI पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, लेकिन विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी के दौरान उन्हें पार्टी की तरफ से चुनाव चिन्ह नहीं मिलने की वजह से अपनी नाराजगी जताते हुए पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, उन्होंने पार्टी सदस्य के रूप में बस्तर के हित के लिए  काम करने की बात कही है. बताया जा रहा है कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी कवासी लखमा से मिली हार के बाद मनीष कुंजाम ने यह फैसला लिया है.


चुनाव चिन्ह नहीं मिलने से कम वोट मिलने की बताई वजह
दरअसल, CPI  पार्टी का अधिकृत चुनाव चिन्ह हसिया-बाली है, लेकिन हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में CPI के किसी भी प्रत्याशी को अधिकृत चुनाव चिन्ह नहीं मिल पाया. इस पर मनीष कुंजाम  ने नाराजगी जताते हुए पार्टी के केंद्रीय नेताओं द्वारा बरती गयी लापरवाही को लेकर गहरी नाराजगी जताई. मनीष कुंजाम ने कहा कि पार्टी द्वारा बरती गई लापरवाही की वजह से सीपीआई को बस्तर में भारी नुकसान हुआ है. 


पार्टी सिंबल नहीं मिलने से CPI के सभी प्रत्याशियों को उम्मीद से भी काफी कम वोट मिले हैं, बल्कि दूसरे चरण के मतदान में पार्टी सिंबल दिया गया है. चुनाव से पहले पार्टी नेताओं द्वारा बरती गई इस गैर जिम्मेदाराना रवैया के चलते पार्टी के सभी पदों से उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. 


इसके अलावा, पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने कहा कि सीपीआई पार्टी में रहते उन्होंने बस्तर में कई आंदोलन का नेतृत्व किया है, जिसमें उन्हें कई सफलताएं भी मिली है. बस्तर में जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ी है और आगे भी लड़ते रहेंगे. पार्टी के पदों से इस्तीफा देने के बाद भी वह बस्तर की समस्याओं और आदिवासी समाज के हक व अधिकारों के लिए  लड़ते रहेंगे. हालांकि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व लगातार मनीष कुंजाम को मान मनव्वल करने में लगे हुए हैं, लेकिन मनीष कुंजाम ने संगठन के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है.


बस्तर को पृथक राज्य बनाने की उठाई मांग
इधर मनीष कुंजाम ने बस्तर को अलग राज्य बनाने की भी मांग की है. उनका कहना है कि वर्तमान में बस्तर में जो हालात बन रहे हैं उसे आदिवासी संस्कृति और परंपराओं पर खतरा बढ़ता जा रहा है. बस्तर के आदिवासियों को जागृत करने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि फरवरी का महीना भूमकाल की लड़ाई का महीना है. इस मौके पर बस्तर को अलग राज्य बनाने के लिए अधिकृत रूप से घोषणा करेंगे और बस्तर राज्य की मांग के लिए हर स्तर पर आंदोलन करेंगे. 


उन्होंने कहा कि केरल, गोवा और सिक्किम जैसे कई राज्यों का गठन किया गया है, जिसका क्षेत्रफल बस्तर से भी कम है. बस्तर आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के लिए भी जाना जाता है और वर्तमान में बस्तर को अलग राज्य बनाने की सभी अहर्ताएं हैं.


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