Bijapur News Today : छत्तीसगढ़ में हरा सोना कहे जाने वाले तेंदूपत्ता की इन दिनो तोड़ाई चल रही है. खासकर बस्तर संभाग के ग्रामीण अंचलों में सुबह से ही ग्रामीण तेंदूपत्ता की तोड़ाई करने जंगलो की ओर निकल जाते हैं. तेंदूपत्ता की बिक्री बस्तर के आदिवासियों के लिए मुख्य आय का स्रोत भी है, लेकिन बीजापुर जिले के गंगालूर थाना क्षेत्र के जंगलो में तेंदूपत्ता तोड़ने गयी एक युवती मौत के मुंह में समा गई.


दरअसल, नक्सलियों ने यहां जवानों को निशाना बनाने के लिए प्रेशर आईईडी बम प्लांट किया था. मौके पर युवती का पैर इस बम की चपेट में आ गया और इतना जोरदार धमाका हुआ कि युवती की मौके पर ही मौत हो गई. इस घटना के बाद इलाके में पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. युवती के मौत की खबर से परिजनों में कोहराम मच गया.


एक महीने में IED ब्लास्ट से तीसरी मौत
इस तरह नक्सलियों द्वारा प्लांट प्रेशर आईईडी की चपेट में आकर पिछले एक महीने में तीन निर्दोष ग्रामीणों की जान चली गई है. नक्सलियों द्वारा इस इलाके में गश्ती के लिए निकलने वाले जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रेशर आईईडी बम प्लांट करके रखा जाता है. नक्सलियों के इस कायराना कार्रवाई में जवानों के साथ निर्देष ग्रामीणों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. 


बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि गंगालूर थाना क्षेत्र के मल्लूर गांव की निवासी शांति नाम की युवती तेंदूपत्ता तोड़ने जंगलों की ओर गई थी. इसी इलाके में नक्सलियों ने जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रेशर आईईडी बम प्लांट किया था. जिस पर शांति का पैर पड़ने से जोरदार धमाका हो गया. इस विस्फोट में शांति की मौक पर ही मौत हो गई.


नक्सलियों के कायराना हमले में निर्दोषों की मौत
एसपी ने कहा कि जिस इलाके में यह घटना हुई है, यह नक्सल प्रभावित इलाका है. जवान लगातार इन्हीं इलाकों में सर्च ऑपरेशन के लिए निकलते हैं. उन्होंने बताया कि इसलिए नक्सलियों ने जवानों को नुकसान पहुंचाने के मंसूबे से इलाके में प्रेशर आईईडी बम प्लांट करके रखा था. जिसकी चपेट में निर्दोष युवती आ गई और उसकी मौत हो गई. 


इस मामले में बीजापुर एसपी ने बताया कि अप्रैल महीने में बीजापुर जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्र में आईईडी ब्लास्ट हुआ, जिसमें दो ग्रामीणों की मौत हो गई थी. महीने भर के अंदर आईईडी ब्लास्ट की यह तीसरी घटना और तीसरी मौत है. उन्होंने कहा कि आमने-सामने की लड़ाई लड़ने बजाय नक्सली कायरता का परिचय देते हुए इस तरह प्रेशर आईईडी प्लांट कर रखते हैं, जिसकी चपेट में आकर निर्दोष ग्रामीणों की और पालतू मवेशियों की जान जा रही है.


4 दशक में सैकड़ों जवान IED ब्लास्ट में शहीद
बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में माओवादी संगठनों का आईईडी बम सबसे बड़ा और घातक हथियार है. इसके जरिए पिछले 4 दशकों में 300 से अधिक जवानों की नक्सली जान ले चुके हैं और 500 से ज्यादा जवान बुरी तरह से घायल हुए हैं. यही नहीं इस आईईडी की चपेट में आने से कई निर्दोष ग्रामीणों की भी मौत हुई है.


आज भी कई ग्रामीण प्रेशर आईईडी की चपेट में आने की वजह से विकलांगता की जिंदगी जी रहे हैं. नक्सलियों द्वारा हमेशा से ही ऐसे इलाकों में बम प्लांट किया जाता है. जहां जवानों की मौजूदगी रहती है, आईईडी बम के साथ-साथ स्पाईक होल भी नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलियों का सबसे घातक हथियार है.


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