Bastar Anemia News: छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) में करीब 80 फीसदी लोग एनीमिया (Anemia) जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. खुद बस्तर दौरे पर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव (TS Singh Deo) ने इसका खुलासा किया. साथ ही इस बीमारी से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अधिकारियों को जल्द ही ठोस कदम उठाए जाने के भी निर्देश दिए. स्वास्थ्य मंत्री ने इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा 1 से 10 साल के बच्चे, गर्भवती महिलाएं और ग्रामीण महिलाओं के आने की जानकारी दी थी.


इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन के द्वारा बच्चों और महिलाओं के पोषण आहार के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा. आंगनबाड़ी, आश्रम, सरकारी स्कूलों में बच्चों को पोषण आहार के नाम पर मेन्यू चार्ट के हिसाब से जो भोजन दिया जाना है वह नहीं दिया जा रहा है. इस वजह से एनीमिया से पीड़ित बच्चों में कोई सुधार नहीं हो रहा है.


मेनू चार्ट में अंडा, दूध, मांस है अनिवार्य


बस्तर में एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से बचाने के लिए आदिवासी अंचलों में संचालित हो रहे आश्रम, आंगनबाड़ी और सरकारी स्कूलों में मेनू चार्ट लगाए गए हैं. यहां मेनू चार्ट हिसाब से बच्चों को और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार दिया जाना है, लेकिन विभाग और जिला प्रशासन केवल मेनू चार्ट दीवारों में चस्पा कर खानापूर्ति कर रहा है. बच्चों का कहना है कि उन्हें मेनू चार्ट के हिसाब से भोजन नहीं मिलता. उन्हें केवल दाल चावल दिया जाता है. सप्ताह में एक दिन अंडा, दूध और पूड़ी खीर के अलावा 1 दिन मांसाहारी भोजन भी बच्चों को खिलाया जाना है.


इसके बावजूद कई जगहों पर बच्चों को बिना सब्जी के ही केवल दाल चावल परोसा जाता है और सब्जी के नाम पर आलू-बड़ी देकर खानापूर्ति की जाती है. खुद स्वास्थ्य मंत्री ने भी कहा कि बच्चों और महिलाओं में एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी होने की मुख्य वजह यह है कि उन्हें पोषण आहार नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से उनके शरीर में खून की कमी बनी हुई है.


मेनू चार्ट के हिसाब से भोजन दिए जाने के मंत्री ने दिये निर्देश


प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने इस गंभीर बीमारी के लिए अब सभी आंगनबाड़ी, स्कूल और आश्रमों में मेनू चार्ट के हिसाब से ही भोजन दिए जाने के निर्देश दिए. कवासी लखमा ने कहा है कि जहां भी विभाग और संबंधित आश्रम के कर्मचारी, सरकारी स्कूल और आंगनबाड़ी के जिम्मेदारों द्वारा पोषण आहार देने में लापरवाही बरती जाएगी तो उन पर कार्रवाई की जाएगी. हालांकि मेनू चार्ट के हिसाब से भोजन दिए जाने को लेकर हमेशा से केवल निर्देश दिए जाते हैं. इसके बावजूद स्कूल, आश्रम और आंगनबाड़ी केंद्रों में व्यवस्था नहीं सुधरती और ना ही मेनू चार्ट के हिसाब से बच्चों को और गर्भवती महिलाओं को भोजन मिल पाता है. जिस वजह से बस्तर में एनीमिया का फीसद घटने की जगह बढ़ता ही जा रहा है.


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