बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई विभागों में मानदेय की वृद्धि की है. तो अब स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत योग प्रशिक्षक भी अपनी मानदेय वृद्धि की मांग को लेकर आंदोलन पर उतर गए हैं.
बीजेपी कार्यालय के गेट पर घंटों प्रदर्शन
सोमवार को काफी संख्या में योग प्रशिक्षकों ने बीजेपी कार्यालय के गेट पर कई घंटे प्रदर्शन किया. उन्होंने बताया कि 2018 में हम लोग को बहाल किया गया था और और 250 रुपये प्रति दिन दिया जाता है, जो साढ़े सात हजार का महीना है. मुख्यमंत्री सभी लोगों का मानदेय बढ़ा रहे हैं. हम पर कब ध्यान देंगे.
भागलपुर से आए एक योग प्रशिक्षक ने कहा कि कोरोना के समय में हम लोग अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों को योग करवा रहे हैं. उस वक्त से हम लोग को ढाई सौ रुपया प्रतिदिन के हिसाब से पैसा मिलता है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कई लोग 10 किलोमीटर 15 किलोमीटर दूरी से आते हैं, जो आने जाने का भाड़ा में ही खर्च हो जाता है. फिर साढ़े सात हजार के महीने पर हम लोग कैसे कम कर सकते हैं.
एक दूसरे प्रशिक्षक ने कहा कि "इसके लिए कई बार हम लोगों ने धरना प्रदर्शन भी किया था. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से भी हम लोग कई बार मिले थे और उन्होंने आश्वासन भी दिया था, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही रहा. योग प्रशिक्षकों की बहाली निकालने की भी बात आई थी, लेकिन वह भी ठंडे बस्ते में चली गई."
आंदोलनकारियों ने कहा कि अब जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई विभाग में मानदेय की वृद्धि लगातार कर रहे हैं फिर हम पर ध्यान क्यों नहीं जा रहा है. यही ध्यान आकर्षित करने के लिए हम अपने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से मिलने के लिए सुबह 5 बजे से बीजेपी कार्यालय पर आए हुए हैं.
उन लोगो ने कहा कि अभी तक स्वास्थ्य मंत्री नहीं पहुंचे हैं, लेकिन हम शाम 5 बजे तक यहां रहेंगे. हर हाल में अपने मंत्री से मिलकर जाएंगे. जब सभी का जब मांग पूरा हो रहा है तो हम पर भी ध्यान दिया जाए. वैसे यह पांच सूत्री मांग है, लेकिन मुख्य मांग है कि हम लोग का मानदेय बढ़ाया जाए.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मानदेय बढ़ाने की मांग
बता दें कि चुनावी वर्ष में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जहां आम लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन की वृद्धि किया तो विद्यालय रसोइया, रात्रि प्रहरी का मानदेय दोगना कर दिया. वहीं शारीरिक शिक्षक को 8000 से बढ़कर सीधे 16000 कर दिया गया. अब अब अन्य विभागों में भी मानदेय पर कम करें लोगों की इच्छा जागृत होने लगी है और कहीं ना कहीं यह सोच है कि अगर आंदोलन करेंगे तो निश्चित तौर पर चुनावी वर्ष में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जरूर ध्यान देंगे.
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