पूर्णिया: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है. ऐसे में वहां फंसे भारतीय मूल के लोगों के वापस लौटने का सिलसिला जारी है. हालांकि, इस दौरान उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ताजा मामला बिहार के पूर्णिया जिले के दो बहनों से जुड़ा हुआ है, जो यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गई थी. दरअसल, भारतीय छात्रों के वहां से निकालने को लेकर एडवाइजरी जारी कर दी गई है. ऐसे में लोगों की परेशानी बढ़ गई है.


ट्रेन पर चढ़ाने से किया मना


बता दें कि जिले के धमदाहा के नेहरू चौक की रहने वाली दो बहनें जया और नीतू यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत के बाद अपने देश वापस लौटना चाहती हैं. इस बाबत वे हॉस्टल से बाहर निकल कर पास के ही रेलवे स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने गईं, जहां लेकिन स्थानीय लोगों ने उन्हें ट्रेन पर चढ़ने ही नहीं दिया. ऐसा होने के बाद वे 36 घंटे तक यूक्रेन में इधर-उधर भटकती रहीं. 


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बच्चियों के पिता ने एबीपी से कही ये बात


जया के पिता जय नारायण मेहता ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान बताया कि उनकी बेटी और भतीजी इस युद्ध के माहौल से निकलने के लिए संघर्ष कर रही है. जया अपनी चचेरी बहन नीतू के साथ यूक्रेन की सीमा पार करने के लिए बुधवार की सुबह छह बजे ही अपने हॉस्टल से निकली थी, जिन्हें स्थानीय लोगों ने ट्रेन पर चढ़ने नहीं दिया है. उनके साथ-साथ अन्य छात्रों के साथ भी अभद्र व्यवहार करते हुए रोक दिया. 


40 किलोमीटर का रास्ता किया तय


पिता की मानें तो ऐसा होने के बाद दोनों बहने वहां से हंगरी बॉर्डर की तरफ बढ़ गईं, जो वहां से करीब चालीस किलोमीटर दूर है. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी जया द्वितीय वर्ष की छात्रा है. जबकि भतीजी प्रथम वर्ष की छात्रा है. दोनों यहां से पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गई थी. बुधवार को यूक्रेन में आपातकालीन एडवाइजरी जारी होने के बाद दोनों बच्चियां अपने हॉस्टल से निकलकर स्थानीय स्टेशन पर आठ किलोमीटर दूर पैदल चलकर पहुंची, लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें ट्रेन पर नहीं चढ़ने दिया गया है.


उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद दोनों बच्चियां दूसरी सीमा की तरफ जाने के लिए पैदल ही निकल गईं, जो हॉस्टल से 40 किलोमीटर की दूरी पर है. वहां से भारत आने के लिए तीन पॉइंट निर्धारित किया गया है, जहां पर शाम छह बजे तक पहुंचना था. हालांकि, दोनों बच्चियां थक जाने के कारण अब पैदल चलने में असमर्थता जता रहीं हैं. इस दरमियां दोनों बच्चियां लगातार अपने परिजन से संपर्क में हैं और उम्मीद जताई है कि गुरुवार शाम छह बजे से पहले किसी तरह वे बॉर्डर पार कर जाएं.


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