पटना: नीतीश कैबिनेट (Nitish Cabinet) के मंत्रियों द्वारा मदरसे पर दिए गए बयान के बाद सूबे की सियासत गरमा गई है. मंत्री नीरज कुमार बबलू (Neeraj Kumar Bablu) और मंत्री जीवेश मिश्रा (Jivesh Mishra) द्वारा मदरसे पर दिए गए बयान को लेकर सहयोगी पार्टी के नेताओं ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया है. वहीं, इसी क्रम में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) की पार्टी हम के प्रवक्ता ने दोनों मंत्रियों के बयान की कड़ी निंदा की है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से उनके खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है. 


दानिश रिजवान ने कही ये बात


हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रवक्ता और मांझी के करीबी नेता दानिश रिजवान (Danish Rizwan) ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री मदरसों पर टिप्पणी करने वालों पर कार्रवाई करें. ये बिना सोचे विचारे कुछ भी बोल रहे हैं. सरकार में जो कुछ जाहिल मंत्री बन गए हैं, उन्हें अब बर्खास्त कर देना चाहिए. इन्हीं कुछ जाहिल मंत्रियों के कारण सरकार की भद्द पिट रही है. 


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गौरतलब है कि असम सरकार द्वारा मदरसे को मुख्य धारा की स्कूलों के रूप में बदलने का फैसला लिया गया है. असम सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के पर्यावरण मंत्री ने कहा था, " असम की बीजेपी सरकार ने सराहनीय काम किया है. मदरसों में सभी तरह की पढ़ाई होनी चाहिए. राज्य में चल रहे सभी मदरसों को सरकारी स्कूल में बदलने का फैसला सही है." उन्होंने कहा था, " मदरसों में पढ़ाई के लिए फंड तो राज्य सरकार की ओर से ही जाता है, लेकिन लगभग सभी मदरसों में अपने मन मुताबिक पढ़ाई कराई जाती है. वहां ना तो हिंदुस्तान के हिसाब से पढ़ाया जाता है. ना पढ़ाई की तरह पढ़ाई कराई जाती है."


बच्चों के दिमाग में डाली जाती है गलत बात


उन्होंने कहा था," मदरसों में  हिंदुस्तान के खिलाफ बताया जाता है. बच्चों के दिमाग में डाला जाता है कि यह देश उनका नहीं है, यहां हम लोगों को परेशानी होती है. शिक्षकों द्वारा बच्चों के दिमाग में इस तरह की बातें भर दीं जाती हैं. ऐसे में निश्चित रूप से इसको सही करने की आवश्यकता है. जो आम स्कूलों में पढ़ाया जाता है, वही मदरसे में भी पढ़ाया जाना चाहिए. स्कूलों में धर्म के बारे में पढ़ाई होनी चाहिए और सभी स्कूलों में होती भी है."


मंत्री जीवेश मिश्रा ने कही थी ये बात


वहीं, प्रदेश के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा ने इस संबंध में कहा था, " जो मदरसे में पढ़ने वाले लोग हैं, वो मुख्य धारा की पढ़ाई करें. सभी मदरसों में देश विरोधी बात नहीं की जाती. लेकिन कई बार ऐसी खबरें सामने आईं हैं. ऐसे में ये बात तो स्पष्ट है कि मदरसे के अंदर जो पढ़ाई होती है, उसका आधार केवल धर्म होता है. इसका कोई औचित्य नहीं है. शिक्षा का अर्थ यही है कि वो पढ़ लिखकर देश के लिए काम करें. शिक्षा सभी के लिए समान अवसर प्रदान करता है. ऐसे इन संप्रदायित चीजों को पढ़ाने का कोई मतलब नहीं है."


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