पटना: "जनसंख्या नियंत्रण के लिए अगर सिर्फ कानून बनाकर उसका उपाय करेंगे तो ये संभव नहीं है. आप चीन का उदाहरण देख लीजिए. वहां एक से दो बच्चों को लेकर निर्णय लिया गया, अब देखिए वहां क्या हो रहा है. सबसे बड़ी चीज है कि महिलाएं जब पूरी तौर पर शिक्षित और जागरूक होंगी तो अपने आप प्रजनन दर घट जाएगा." ये बातें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर किए सवाल के जवाब कही हैं. हालांकि, मुख्यमंत्री के इस थ्योरी से उन्हीं की कैबिनेट की मंत्री और बिहार की महिला उपमुख्यमंत्री रेणु देवी सहमत नहीं हैं. 


युद्धस्तर पर करने की काम आवश्यकता




उन्होंने मुख्यमंत्री की बातों पर असहमति जाहिर करते हुए कहा कि  जनसंख्या नियंत्रण के लिए राज्य में मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, कुपोषण में कमी, साक्षरता दर बढ़ाने और परिवार नियोजन के संबंध में व्यापक जागरूकता लाने की जरूरत है. हालांकि, यह सभी कार्य हो रहे हैं, इन कार्यों के परिणाम भी अच्छे मिले हैं. लेकिन इसे युद्धस्तर पर करने की आवश्यकता है.


रेणु देवी ने कहा कि जनसंख्‍या नियंत्रण के लिए महिलाओं से ज्‍यादा पुरुषों को जागरूक करने की जरूरत है क्‍योंकि पुरुषों में नसबंदी को लेकर काफी डर देखा जाता है. बिहार के कई जिलों में तो नसबंदी की दर मात्र एक प्रतिशत है. महिलाओं के रिप्रोडक्टिव हेल्‍थ के लिए सरकारी अस्‍पतालों में कई सुविधाएं दी जाती हैं. मगर इन सुविधाओं को लाभ महिलाओं तक तभी पहुंचेगा जब घर के पुरुष जागरूक हाें और महिलाओं को अस्‍पताल तक लेकर जाएं.


जेंडर इक्वलिटी पर काम करने की जरूरत


उपमुख्यमंत्री ने कहा, " अक्‍सर देखा गया है कि बेटे की चाहत में प‍ति और ससुराल वाले महिला पर अधिक बच्‍चे पैदा करने का दबाव बनाते हैं, जिससे परिवार का आकार बड़ा होता जाता है. जनसंख्‍या नियंत्रण के लिए जेंडर इक्वलिटी पर भी काम करने की जरूरत है. लोगों को समझना होगा कि बेटा-बेटी एक समान हैं. 


उन्होंने कहा कि बिहार के देश के सर्वाधिक आबादी वाले राज्यों में से एक है. बिहार में अब भी प्रजनन दर 3.0 है. राज्य में खुशहाली के लिए जनसंख्या स्थिर होना बेहद जरूरी है. विशेषज्ञों की भी राय है कि बढ़ती या अनियंत्रित आबादी राज्य की चहुमुखी विकास में बाधक होती है. 


बाढ़ राहत शिविरों में किया जाए ये काम


रेणु देवी ने कहा कि बिहार में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के शिविरों में भी गर्भनिरोधक गोलियों के वितरण, परिवार नियोजन के उपायों की जानकारी और सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था के लिए आग्रह किया गया है. बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों में कम्युनिटी किचन की संख्या भी बढ़ाकर 240 कर दी गई है, जिसमें से 106 मुजफ्फरपुर के विभिन्न प्रखंडों में संचालित किए जा रहे हैं. यहां सुबह-शाम 2,32,440 लोगों को भोजन कराया जा रहा है.


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