सुपौल: बिहार के सुपौल जिले के सबसे बड़े अस्पताल सुपौल सदर अस्पताल का बुधवार को राज्य स्वास्थ्य समिति की टीम ने निरीक्षण किया. इस दौरान उनके साथ दिल्ली की स्वास्थ्य समिति की टीम भी मौजूद थी. इस मौके पर टीम ने सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डों में घूम-घूमकर सभी सुविधाओं जायजा लिया.


निरीक्षण के दौरान मेडिकल टीम के अधिकारी ने बताया कि वे लोग कोविड 19 से प्रभावित हुए आयुष्मान भारत के लाभार्थियों की ट्रीटमेंट का गहन रूप से अध्ययन कर रहे हैं ताकि फिर से आयुष्मान भारत के तहत लाभर्थियों को लाभ मिल सके. वहीं, उन्होंने इस सवाल पर कि सदर अस्पताल में करीब डेढ़ महीने से किसी भी तरह का ऑपरेशन बंद है पर कहा कि जिले में एनेस्थेसिया स्पेशलिस्ट की कमी है, जिस कारण मरीजों का ऑपरेशन नहीं किया जा रहा है.


उन्होंने कहा कि जिले में मात्र एक एनेस्थेशिया स्पेशलिस्ट टीम है, जिसकी प्रतिनियुक्ति त्रिवेणीगंज में है. ऐसे हालात में जब तक सदर अस्पताल में एनेस्थेशिया स्पेशलिस्ट की टीम नहीं आ जाती है, तब तक सिजेरियन शुरू नहीं किया जा सकता है. हालांकि इसके लिए प्रयास किया जा रहा है कि जल्द ही यहां ऑपरेशन शुरू करवाया जाए.


मालूम हो कि करीब 23 लाख की आवादी वाले सुपौल जिले का सबसे बड़ा अस्पताल सुपौल सदर अस्पताल है, लेकिन दुर्भाग्य ये है कि सदर अस्पताल में एनेस्थेशिया स्पेशलिस्ट नहीं रहने के कारण करीब डेढ़ महीने से सिजेरियन ऑपरेशन नहीं किया जा रहा है. इसका दुष्परिणाम स्थानीय गरीब मरीजों को भुगतना पड़ता है और बाहर के अस्पतालों में इलाज के लिए जाना पड़ता है.