भागलपुर: बिहार में चर्चित सृजन घोटाला मामले में सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई की है. मामले में सीबीआई कोर्ट से अरेस्ट वारंट जारी होने के बाद पहली बार बड़ी संख्या में जांच ब्यूरो के अधिकारी भागलपुर पहुंचे और घोटाले में आरोपित बीजेपी नेता विपिन शर्मा को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. हालांकि, अभी तक सीबीआई द्वारा इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. बताया जाता है कि दीपक वर्मा की पत्नी रजनी वर्मा और भाभी से भी सीबीआई पूछताछ कर रही है.


बड़े नेताओं के करीबी हैं विपिन शर्मा


जानकारी के अनुसार सीबीआई मोहम्मद शकील अहमद की पत्नी जेसमा खातून की गिरफ्तारी के लिए भी ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है. बता दें कि सृजन घोटाले में आरोपित विपिन शर्मा भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं. लेकिन घोटाले में नाम आने के बाद पार्टी ने उनको किसान प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष पद से मुक्त कर दिया था. लेकिन पदमुक्त होने के बावजूद विपिन शर्मा बीजेपी के कई बड़े नेताओं के काफी करीबी रहे हैं. उनके यहां बड़े-बड़े नेताओं का लगातार आना-जाना लगा रहता था.


बताया जाता है कि विपिन शर्मा का भागलपुर में अपना बड़ा कारोबार भी है. वे घोटाला की सूत्रधार मनोरमा देवी के काफी करीबी थे. मनोरमा देवी के निधन के बाद वे उनके बेटे अमित और बहू प्रिया के काफी नजदीक रहे थे. सृजन घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने गुरुवार को भी बड़ी कार्रवाई की है. टीम ने सृजन महिला विकास सहयोग समिति के सीए पूर्णेन्दु कुमार चौबे को कहलगांव के सनोखर से गिरफ्तार कर लिया है. 


क्या है सृजन घोटाला ?


बिहार के भागलपुर जिले के सबौर में गरीब और नि:सहाय महिलाओं के उत्थान के लिए सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की शुरुआत की गई थी. लेकिन इसके आड़ में घोटाले पर घोटाले किए गए. विभिन्न थानों में दर्ज प्राथमिकी से साफ पता चला है कि सबसे पहले जिला प्रशासन की नजारत शाखा से घोटाले की शुरुआत हुई थी. 16 दिसंबर, 2003 से लेकर 31 जुलाई, 2017 तक नजारत के खजाने से पैसे की अवैध निकासी होती रही. इसके बाद जिला पार्षद, फिर सहरसा, भागलपुर और बांका भू-अर्जन कार्यालय, कल्याण विभाग और स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों के खातों से अवैध रूप से मोटी रकम की निकासी की गई.


इसी दौरान प्रखंड कार्यालयों के खातों से भी गबन होने की शिकायत मिली थी. वहीं जब 2017 में अगस्त महीने में भागलपुर के जिलाधिकारी के हस्ताक्षर से जारी बैंक चेक को बैंक ने उक्त खाते में पर्याप्त राशि नहीं होने की बात कहकर वापस कर दिया था. जबकि जिलाधिकारी को जानकारी थी कि बैंक खाते में पर्याप्त सरकारी पैसा है. लेकिन चेक वापस होने से उन्हें घोटाले की भनक लग गई, जिसके बाद उन्होंने इस मामले की जांच के लिए स्थानीय स्तर पर एक कमेटी बनाई.


कमेटी ने अपनी जांच में पाया कि दो बैंकों  में सरकारी पैसा है ही नहीं. यह जानकारी तत्काल सरकार को भेजी गई. इसके बाद घोटाले की परत दर परत खुलनी शुरू हो गई। इसी कड़ी में बिहार सरकार ने पहले आर्थिक अपराध इकाई से जांच कराई. लेकिन बाद में अगस्त महीने के मध्य में सृजन घोटाले  की जांच सीबीआइ के जिम्मे सौंप दी.


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