मुजफ्फरपुरः हर साल की तरह इस साल भी मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से अबतक 13 बच्चे काल की गाल में समा चुके हैं. एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में इलाज के लिए अभी भी तीन बच्चे भर्ती हैं. इस साल अबतक कुल 60 बच्चों को भर्ती करवाया गया था. मोतिहारी, वैशाली, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर के बच्चों में एईएस की पुष्टि हुई है.


नवजात से लेकर 12 साल तक के बच्चे शिकार


वहीं, जिला प्रशासन चमकी बुखार को लेकर पहले से तैयारी है. लगातार जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है, जिसके प्रभाव का ही असर है कि पिछले साल एसकेएमसीएच में 89 बच्चे भर्ती हुए थे जिसमें से 13 बच्चों की मौत हुई थी. हर साल मई, जून, जुलाई और अगस्त के महीने में इस क्षेत्र में इस बीमारी का कहर देखने को मिलता है. बरसात के बाद धीरे -धीरे इस बीमारी का कहर थमने लगता है. हर साल नवजात से लेकर 12 साल तक के बच्चे इस बीमारी का शिकार होते हैं.


डॉक्टरों का मानना है कि कुपोषण इस बीमारी की मुख्य वजह है. खास कर के गर्मी के दिनों में दिन में धूप में खेलने और रात में भूखे पेट सोने की वजह से छोटे बच्चे इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं. डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि बच्चों को रात में किसी भी कीमत पर भूखे नहीं सोने दें. देर रात में ही बच्चों में इस बीमारी के लक्षण मिलते हैं, जिससे बच्चे बेहोशी में चले जाते हैं.


एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में 102 बेड की व्यवस्था


डॉ. सहनी ने यह भी बताया कि सरकार की ओर से चल रहे जागरूकता अभियान की वजह से दो साल से मौतों और बीमार बच्चों की संख्या में काफी कमी आई है. 2020 के पहले इस बीमारी से मौतों का आंकड़ा 100 के पार रहता था. उत्तर बिहार के प्रभावित कई जिलों के लिए मुजफ्फरपुर मके एसकेएमसीएच में पीकू वार्ड बनाया गया है, जिसमें 102 बेड की व्यवस्था है. सारे बेड पर ऑक्सीजन और मॉनीटर की व्यवस्था की गई है. सीरियस बच्चों के लिए 68 वेंटिलेटर भी है.


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