Hockey News:  टोक्यो ओलंपिक के दौरान महिला हॉकी टीम के कोच रहे सोर्ड मॉरिन को अब तक उनकी बकाया सैलरी का भुगतान नहीं हुआ है. यूपी सरकार द्वारा उन्हें दी जाने वाली 25 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि भी उन्हें नहीं मिली है. यह रिपोर्ट हाल ही में एक अखबार ने छापी थी. अब इस मामले में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) का जवाब आया है.


साई का कहना है कि हॉकी इंडिया की सिफारिश के बाद मॉरिन की सैलरी रोक दी गई थी क्योंकि उन्होंने अभी तक आधिकारिक लैपटॉप नहीं लौटाया है और न ही ‘अनापत्ति पत्र’ (एनओसी) जमा किया है. हॉकी इंडिया ने इस संबंध में कहा है कि मॉरिन द्वारा लैपटॉप नहीं लौटाने के कारण हॉकी इंडिया ने उन्हें एनओसी जारी नहीं की. ऐसे में साई को अधिकार है कि वे पूर्व कोच का बकाया वेतन रोक सके. 


हॉकी इंडिया ने यह भी कहा कि लंबित सैलरी पर मारिन की टिप्पणी भारतीय खेल प्रशासन की एक बुरी छवि पेश करने का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास था. हॉकी इंडिया ने यह भी दावा किया कि कोच का केवल 1,800 अमेरीकी डालर सैलरी बकाया है. हॉकी इंडिया के सेक्रेटरी जनरल राजिंदर सिंह ने एक प्रेस रिलीज के जरिए कहा कि लैपटॉप में भारतीय खिलाड़ियों का जरूरी डेटा है अगर मारिन ने लैपटॉप वापस नहीं किया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.


हालांकि एक अखबार से बातचीत करते हुए मॉरिन ने कहा है कि लैपटॉप के टूट जाने के कारण वे  इसे वापस नहीं कर पाए. उन्होंने लैपटॉप को रिपेयरिंग के लिए दिया है और जल्द ही लैपटॉप हॉकी इंडिया तक पहुंच जाएगा. गौरतलब है कि मारिन की अगुवाई में टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम चौथे स्थान पर आई थी. यह महिला हॉकी टीम का ओलंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. इसके बाद मारिन का कार्यकाल खत्म हो गया था और वह नीदरलैंड के एक क्लब टिलबर्ग के कोच बन गए थे.


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