CWG 2022, Lakshya Sen: कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के आखिरी दिन भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन (Lakshya Sen) ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया. उन्होंने बैडमिंटन के पुरुष सिंगल्स के फाइनल मैच में मलेशिया के जी योंग एनजी (Tze Yong Ng) को हराया.


विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता लक्ष्य सेन ने सोमवार को कॉमनवेल्थ गेम्स की बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में मलेशिया के त्जे योंग एनजी को 2-1 से हराकर अपना पहला एकल खिताब का जीता. पहला गेम 19-21 से हारने के बाद 20 वर्षीय भारतीय शटलर ने दूसरा 21-9 से जीतने के लिए संघर्ष किया और फिर तीसरे में त्जे योंग एनजी की चुनौती को 21-18 से हराकर एक यादगार जीत हासिल की.


सेन ने अपने पहले कॉमनवेल्थ गेम्स में मिश्रित टीम प्रतियोगिता में जीते गए रजत के साथ स्वर्ण पदक को जोड़ दिया. यह पहली बार था, जब भारत ने एक ही कॉमनवेल्थ गेम्स के सीजन में पुरुष एकल और महिला एकल खिताब दोनों का दावा किया था.


वह कॉमनवेल्थ गेम्स में पुरुष एकल खिताब जीतने वाले प्रकाश पादुकोण, सैयद मोदी और पारुपल्ली कश्यप के बाद चौथे भारतीय भी बने. बैडमिंटन में कॉमनवेल्थ गेम्स में व्यक्तिगत रूप से सात और मिश्रित टीम प्रतियोगिता में एक के बाद यह भारत का नौवां स्वर्ण पदक है. साइना नेहवाल दो एकल खिताब जीतने वाली एकमात्र खिलाड़ी हैं.


कुछ समय के लिए, ऐसा लग रहा था कि पहला गेम हारने के बाद सेन इस सूची में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि मलेशियाई स्टार ने प्रतियोगिता में लगातार अंतिम चार अंक जीते थे.




मैच का टनिर्ंग पॉइंट दूसरा सेट रहा, जब लक्ष्य ने शुरूआती बढ़त बना ली. उसने लगातार 11 अंक जीते, जिससे उन्होंने मलेशियाई खिलाड़ी को इधर-उधर घुमाया और मैच की लय को नियंत्रित किया. उन्होंने आक्रामक तरीके से खेला और कई गलतियां करने से बचे.


मलेशियाई खिलाड़ी का खेल भी एक पायदान नीचे चला गया और उसने कुछ गलतियां कीं. सेन ने कहा, "मैच का दूसरा गेम टनिर्ंग पॉइंट था जहां मैंने बढ़त बनाई. मैं अच्छा और थोड़ा धैर्य से खेल रहा था. इससे मुझे पूरे तीसरे गेम में काफी आत्मविश्वास मिला." दूसरा सेट जीतने के बाद सेन ने तीसरे गेम पर भी नियंत्रण कर लिया. उन्होंने तीन अंकों की बढ़त हासिल की और मैच पर दबदबा बनाया.


सेन ने मैच के बाद कहा, "मैं बहुत खुश हूं कि मैंने दूसरा और तीसरा गेम अच्छा खेला." सेन ने कहा कि वह कॉमनवेल्थ गेम्स में अपना पहला एकल स्वर्ण जीतकर खुश हैं. सेन ने कहा, "यह एक सपने के सच होने जैसा है, और मैं आज जिस तरह से खेला उससे मैं खुश हूं. मलेशियाई खिलाड़ी को भी श्रेय जाता है, क्योंकि उन्होंने वास्तव में (पहला) गेम अच्छा खेला."


इस स्वर्ण के साथ, सेन ने सर्किट पर अपना सबसे सफल वर्ष जारी रखा, जिसमें उन्होंने जनवरी में इंडिया ओपन जीता, जो उनका पहला सुपर 500 खिताब था. जर्मन ओपन में, सेमीफाइनल में विश्व के नंबर 1 विक्टर एक्सेलसन को हराकर सेन फाइनल में हार गए. वह ऑल-इंग्लैंड चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे जिसमें वे विक्टर एक्सेलसन से हार गए. वह थॉमस कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा भी रहे थे.