Year Ender 2023: पुरानी से नई संसद का सफर... तस्वीरों में देखें कैसे लिखा गया लोकतंत्र का दूसरा अध्याय
भारत के लिए साल 2023 कई मायने में खास रहा है. खासकर देश के संसदीय इतिहास में नया अध्याय जुड़ा जब पुरानी संसद को छोड़ नई संसद में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का पदार्पण हुआ.
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View In Appइसी साल भारत को नया संसद भवन मिला. 28 मई 2023 को जब भारत की नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया, तब पूरी दुनिया में इसकी धमक सुनाई दी थी.
नए संसद भवन की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पुराने संसद भवन में सांसदों के लिए पर्याप्त जगह की कमी थी और इसका इंफ्रास्ट्रक्चर काफी पुराना हो चुका था. इसके अलावा सुरक्षा जैसे कई मानकों को ध्यान में रखकर नई पार्लियामेंट बिल्डिंग का निर्माण कराया गया.
नए संसद भवन में सबसे पहला बिल महिला आरक्षण का पास किया गया. इसे नारी शक्ति वंदन बिल के नाम से भी जाना जाता है. इस बिल को लोकसभा और राज्यसभा में ध्वनिमत से पास किया गया. इसके अलावा नई संसद में भारतीय न्याय संहिता से जुड़े महत्वपूर्ण बिल पास किए गए. जम्मू कश्मीर से जुड़े दो जरूरी बिल भी इसी साल 18 दिसंबर को पास किए गए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट कही जाने वाली नई संसद को लेकर राजनीति भी जमकर हुई. विपक्षी दलों ने बार-बार इसकी जरूरत पर सवाल खड़े किए, लेकिन पीएम मोदी की अगुवाई में रिकॉर्ड समय में नए संसद भवन का निर्माण कार्य पूरा किया गया.
विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस पार्टी ने इसे मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियॉट का नाम भी दिया. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर यहां तक कहा कि नए संसद भवन के आर्किटेक्चर से लोकतंत्र की हत्या कर दी गई.
नए संसद भवन में 19 सितंबर से कामकाज शुरू किया गया, तब पीएम मोदी सांसदों के साथ पैदल ही पुरानी बिल्डिंग से नई बिल्डिंग में दाखिल हुए थे. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि इस भवन में सब कुछ नया है. सभी सुविधाएं नई और अत्याधुनिक हैं.
इस दौरान प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की ओर से रिसीव किए गए ऐतिहासिक सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्थापित किया गया. पूरे वैदिक रीति-रिवाज के साथ नए भवन का उद्घाटन किया गया था. साथ ही सर्वधर्म प्रार्थना भी की गई.
पुराने संसद भवन का निर्माण 1921 से 1927 के बीच ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने किया था. औपनिवेशक काल में इस बिल्डिंग का निर्माण कार्य 6 वर्ष में पूरा किया गया. शुरूआत में इसे काउंसिल हाउस नाम दिया गया था. तब यह इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का प्रतिनिधित्व करती थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए संसद भवन में सबकुछ नया है लेकिन हम पुरानी विरासत को साथ लेकर चल रहे हैं. हमारी पुरानी लोकतांत्रिक धरोहर वैसी ही है, जैसे थी. आजादी की पहली किरण से लेकर अब तक हमने जो भी हासिल किया है, वह सब हमारे साथ इस नई बिल्डिंग में भी जुड़ा रहेगा. यह हमारे समृद्ध विरासत की गवाह भी है.
तमाम विरोधों के बावजूद पीएम मोदी ने लोकतंत्र के मंदिर की गरिमा को बनाए रखने के लिए पुराने संसद भवन को नया नाम दिया. अब यह संविधान सदन के नाम से जाना जाता है.
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