वाशिंगटनः ट्रंप प्रशासन के तीन मौजूदा रक्षा अधिकारियों के अनुसार रक्षा सचिव मार्क एस्पर ने इस्तीफे का एक लेटर तैयार किया है. हालांकि, मंत्रिमंडल के सचिवों के लिए राष्ट्रपति पद के परिवर्तनकाल में इस्तीफे के तैयार करना नई बात नहीं है. राष्ट्रपति  को उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए रिप्लेस करने का मौका मिलता है. राष्ट्रपति इस बात फैसला करता है कि इस्तीफा स्वीकार करना है या नहीं. यह प्रक्रिया आम तौर पर चुनाव परिणाम आने होने के बाद होती है.


रक्षा अधिकारियों का कहना है कि एस्पर ने अपने इस्तीफे का लेटर इसलिए तैयार किया क्योंकि वह कैबिनेट में शामिल उन लोगों में से एक हैं, जिन्हें चुनाव के बाद बाहर किए जाने की उम्मीद है.


सैन्य ठिकानों के नाम बदलने के मसौदे पर काम कर रहे हैं एस्पर
दरअसल, एस्पर कांग्रेस के ड्राफ्ट लेजिसलेशन मेंबर्स की मिलट्री बेस के कॉन्फेडरेट लीडर्स के नाम से जुड़े मामले में मदद कर रहे है. एस्पर ने सेना, नौसेना और वायु सेना के सचिवों को अपनी संबंधित सर्विस के नाम बदलने से संबंधित एक आर्डर जारी करने पर विचार किया गया था.


यह ऐसा ऑर्डर है जिसे ट्रम्प की तरफ से पलटा जा सकता है. क्योंकि ट्रंप, मिलट्री बेस के नाम बदलने का विरोध कर चुके हैं. वह अब कांग्रेस के साथ मिलकर साथ काम करने की योजना बना रहा है जिससे नेशनल डिफेंस ऑथेराइजेशन एक्ट (एनडीएए) में बदलाव के जरिए नाम में बदलाव कर सकें.


पेंटागन को सौंपा फ्रेमवर्क
इसी सप्ताह एस्पर ने पेंटागन के अधिकारियों को प्रतिष्ठानों नाम बदलने का रिटन फ्रेमवर्क दिया था. इसमें संभवतः जहाजों और सड़कों के नाम भी शामिल थे. उदाहरण के लिए यह फ्रेमवर्क सजेस्ट करता कि एनडीएए सैन्य प्रतिष्ठानों का नाम किसी ऐसे व्यक्ति के नाम पर रखने से मना कर सकता है जिसने अमेरिका के साथ विश्वासघात किया हो या अपराध किया हो. इसकी बजाय ऐसे लोगों का पर रखा जाना चाहिए, जो कुछ क्राइटेरिया पूरा करते हैं. जैसे कि उन्हें मेडल ऑफ ऑनर या सिल्वर स्टार मिला हो या फिर जनरल रैंक हासिल की हो.


एक सूत्र के मुताबिक, कैबिनेट में शामिल लोगों के संभावित इस्तीफे की अटकलें चुनाव के बाद के गेम का हिस्सा हैं. वहीं, डिफेंस सेक्रेटरी के पब्लिक अफेयर असिस्टेंट जोनाथन हॉफमैन ने एक स्टेटमेंट में कहा, "सेक्रेटरी राष्ट्रपति की इच्छा पर रक्षा सचिव के रूप में देश की सेवा करना जारी रखता है और आज पेंटागन, नेशनल डिफेंस स्ट्रेटजी के अपरिवर्तनीय कार्यान्वयन पर काम कर रहा है."


पहले भी आई थी मतभेद की खबरें
एनडीएए, सेना के बजट और नीतियों को आउटलाइन करता है. एनडीएए को आने वाले हफ्तों में कांग्रेस के लेम डक सेशन में इस बिल पारित होने की उम्मीद है, और राष्ट्रपति ट्रम्प के कानून हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जायेगा. गौरतलब है कि अमेरिकी मीडिया में इस बात की पहले से चर्चा हो रही थी कि राष्ट्रपति के लंबे समय तक सहयोगी रहे एस्पर और ट्रंप के बीच प्रोटेस्ट में सेना के इस्तेमाल को लेकर मतभेद हैं.


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