Sarabjit Singh Killer Amir Sarfaraz: भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की हत्या के आरोप में जेल में बंद अमीर सरफराज तांबा के मर्डर केस में नया मोड़ आ गया है. पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार (15 अप्रैल, 2024) को दावा किया कि वह अब भी जिंदा है. लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद के करीबी सहयोगी तांबा पर यहां सनंत नगर स्थित उसके आवास पर बाइक सवार हमलावरों ने हमला किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसे गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया था जहां उसने दम तोड़ दिया था.


लाहौर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ‘ऑपरेशंस’ सैयद अली रजा ने ‘डॉन’ अखबार को बताया कि तांबा अब भी जीवित है, लेकिन गंभीर रूप से घायल है. हालांकि, जब ‘पीटीआई-भाषा’ ने सोमवार को एसएसपी के बयान के बारे में लाहौर पुलिस के प्रवक्ता फरहान शाह से बात की तो उन्होंने इस मामले को ‘संवेदनशील’ बताते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.  दिलचस्प बात यह है कि एसएसपी रजा ने यह नहीं बताया कि अगर तांबा जीवित है तो उसे इलाज के लिए कहां भर्ती किया गया है.


पाकिस्तान को हमले में भारत के हाथ की आशंका 


इस बीच, पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने सोमवार को तांबा की हत्या में भारत का हाथ होने से इनकार नहीं किया है. मंत्री होने के साथ पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अध्यक्ष नकवी ने सोमवार को पत्रकारों से कहा, “अतीत में यहां कुछ हत्या की घटनाओं में भारत सीधे तौर पर शामिल था. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और इस स्तर पर इस (तांबा) मामले में भारत की संलिप्तता के बारे में कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन उन्हें भारत की संलिप्तता का संदेह है. दरअसल, हत्या के पैटर्नमें एक समारूपता है.’’  


 2013 में अमीर ने जेल में कर दी थी सरबजीत सिंह की हत्या


पुराना लाहौर के घनी आबादी वाले इलाके सनंत नगर में रविवार दोपहर दो बंदूकधारियों ने तांबा की उसके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी थी. तांबा के खून से लथपथ शव की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी. पुलिस ने तांबा के छोटे भाई जुनैद सरफराज की शिकायत पर दो अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. बता दें कि तांबा और उसके साथी मुदस्सर ने कुछ कैदियों के साथ मिलकर 2013 में लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद 49 वर्षीय सरबजीत सिंह पर हमला किया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी. 2018 में एक पाकिस्तानी अदालत ने सिंह की हत्या के मामले में दोनों को उनके खिलाफ ‘सबूतों की कमी’ का हवाला देते हुए बरी कर दिया था.


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