Russia Election: रूस में राष्ट्रपति चुनाव 2024 के लिए शुक्रवार (15 मार्च) से वोटिंग शुरू हुई. रूस के सूदूर पूर्व में तीन दिनों तक चलने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग शुरू हो गई है. कामचटका प्रायद्वीप में स्थानीय समयानुसार शुक्रवार को सुबह 8 बजे से वोटिंग शुरू हुई, जो रविवार रात 8 बजे तक चलने वाली है. इस बात की पूरी उम्मीद है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बड़ी आसानी से चुनाव में जीत हासिल करेंगे और अगले छह साल अपने पद पर कायम रहेंगे.


राष्ट्रपति चुनाव ऐसे समय में हो रहे हैं, जब रूस में स्वतंत्र मीडिया और प्रमुख मानवाधिकार संगठनों को गंभीर रूप से बैन किया गया है. रूस अपने यहां चुनाव ऐसे समय पर करवा रहा है, जब उसकी सेना यूक्रेन के साथ जंग लड़ रही है. ये लड़ाई अपने तीसरे साल में प्रवेश कर चुकी है. राष्ट्रपति चुनाव रूस के साथ-साथ दुनिया के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि दुनियाभर की निगाहें इस चुनाव पर टिकी हुई हैं. ऐसे में आइए इस चुनाव से जुड़े कुछ सवालों के जवाब भी जानते हैं.


रूस चुनाव की महत्वपूर्ण बातें



  • देश के 11.2 करोड़ लोगों के पास वोटिंग के अधिकार हैं.

  • विदेश में रहने वाले 19 लाख लोगों को भी वोटिंग का अधिकार दिया गया है.

  • कजाकिस्तान में मौजूद रूसी स्पेस सेंटर के 12000 कर्मचारियों को भी वोट डालने का मौका मिलेगा. 

  • आमतौर पर रूस में 7 से 8 करोड़ लोग वोट डालते हैं. 

  • 2018 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में वोटर टर्नआउट 67.5 फीसदी रहा था.

  • तीन दिन तक होने वाले चुनाव के बाद रिजल्ट का तुरंत ऐलान कर दिया जाएगा. 


पुतिन के लिए चुनाव के क्या मायने हैं? 


रूस के राष्ट्रपति चुनाव में अगर व्लादिमीर पुतिन को जीत मिलती है, तो वह जोसेफ स्टालिन के बाद सबसे लंबे समय तक सरकार चलाने वाले नेता होंगे. पुतिन ने 2021 में कानून में बदलाव कर खुद को दो बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए योग्य बनाया. इस बदलाव के बाद पहली बार चुनाव हो रहे हैं, जिसमें उनका जीतना तय है. अगर वह जीतते हैं तो 2030 तक राष्ट्रपति रहेंगे. इसके बाद होने वाले चुनाव में भी अगर उन्हें जीत मिलती है, तो वह 2036 तक पद पर बने रह सकते हैं. 


चुनावी मैदान में कौन-कौन शामिल हैं?


कम्युनिस्ट पार्टी के 75 वर्षीय निकोलाइ खारितोनोव चुनावी मैदान में हैं. वह फिलहाल रूस के निचले सदन स्टेट ड्यूमा के सदस्य हैं. खारितोनोव सर्बिया से आते हैं. चुनाव लड़ने वालों में 56 साल के लियोनिद स्लटस्की भी हैं, जो स्टेट ड्यूमा में सदस्य हैं. फिलहाल वह लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ रशिया (एलडीपीआर) के प्रमुख हैं. स्टेट ड्यूमा के डिप्टी चेयरमैन और न्यू पीपुल्स पॉलिटिकल पार्टी के 40 वर्षीय व्लादिस्लाव दावानकोव भी चुनाव लड़ रहे हैं. वह सबसे युवा उम्मीदवार हैं. 


कब्जे वाले रूस में होगी वोटिंग


रिपोर्ट्स के मुताबिक, क्रीमिया के साथ रूस के 27 क्षेत्रों में वोटिंग होने वाली है. रूस ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था. इसके अलावा 2022 में यूक्रेन के डोनेत्स्क, लुहान्सक, जापोरेज्जिया और खेरसान पर रूसी सेना ने कब्जा किया. इन इलाकों में भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग करवाई जाएगी. हालांकि, यूक्रेन समेत पश्चिमी मुल्कों ने इन इलाकों में वोटिंग करवाए जाने के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की है. इन इलाकों में फिलहाल वोटिंग चल रही है. 


क्या निष्पक्ष हो रहे हैं चुनाव? 


रूस में होने वाले चुनाव पर हमेशा की उंगलियां उठती रहती हैं. इस बार भी ऐसा ही हो रहा है. इसकी कुछ प्रमुख वजहें हैं, जैसे पुतिन के ज्यादातर विरोधी विदेशों में बैठे हैं. उनके सबसे कट्टर विरोधी एलेक्सी नवालनी की हाल ही में आर्टिक की जेल में मौत हो गई. पुतिन के खिलाफ जो तीन उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, वो देश में भी पॉपुलर नहीं हैं. माना जा रहा है कि क्रेमलिन ने अपना एजेंडा सेट करने के लिए इन्हें सिर्फ दिखावे के उम्मीदवार के तौर पर उतार दिया है. 


विदेशी संगठनों की चुनावी निगरानी को सीमित कर दिया गया है. सिर्फ रजिस्टर्ड उम्मीदवारों या सरकार समर्थित संगठनों को पोलिंग स्टेशन पर जाने की इजाजत दी गई है. अमेरिका में सेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी अनालिसिस के सदस्य सैम ग्रीन ने कहा, 'रूस में हो रहे चुनाव दिखावा हैं. क्रेमिलन का बैलट पर पूरी तरह से कंट्रोल है. क्रेमलिन ये भी तय कर रहा था कि चुनाव प्रसार कैसे हो. पुतिन वोटिंग से लेकर काउंटिंग तक के प्रोसेस पर कंट्रोल रखने के काबिल हैं.'


रूस के विरोधियों ने क्या कहा है? 


नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने भी कहा है कि रूस में मतदान स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हम पहले से ही जानते हैं कि विपक्षी राजनेता जेल में हैं, कुछ मारे गए हैं और कई निर्वासन में हैं. असल में जिन लोगों ने उम्मीदवार के रूप में रजिस्ट्रेशन कराने की कोशिश की थी, उन्हें उस अधिकार से वंचित कर दिया गया है. यूरोप के ज्यादातर मुल्कों की रूस के चुनाव को लेकर यही राय है. 


यूक्रेनी विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों में होने वाले मतदान को अवैध और अमान्य करार दिया है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से नतीजों को स्वीकार न करने का आग्रह किया है. अपने बयान में, मंत्रालय ने रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों में चुनावी अभियान के जरिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों और सिद्धांतों को तोड़ने के लिए मॉस्को की जमकर आलोचना की है. 


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