Pakistan New Chief Justice: पाकिस्तान में रविवार (17 सितंबर) को 29वें चीफ जस्टिस के रूप में काजी फैज ईसा ने शपथ ली. पाकिस्तान के नए चीफ जस्टिस के रूप में काजी फैज ईसा का कार्यकाल 13 महीने का होगा, जो 25 अक्टूबर 2024 को खत्म होगा. 63 वर्षीय चीफ जस्टिस ईसा को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इस्लामाबाद के ऐवान-ए-सद्र में आयोजित एक समारोह में कार्यवाहक प्रधान मंत्री अनवारुल हक काकर, सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर, मंत्रियों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में शपथ दिलाई.


जस्टिस ईसा का जन्म 26 अक्टूबर 1959 को क्वेटा में हुआ था. उनके पिता काजी मुहम्मद ईसा पाकिस्तान की स्थापना के लिए आंदोलन के एक प्रमुख सदस्य थे. वो मोहम्मद अली जिन्ना के करीबी सहयोगी माने जाते थे. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा क्वेटा में की. A और O लेवल की शिक्षा कराची ग्रामर स्कूल में पूरी की. इसके बाद उन्होंने लंदन में कानून की पढ़ाई की, जहां उन्होंने बार प्रोफेशनल लॉ की पढ़ाई पूरी की.


चीफ जस्टिस के पत्नी पर आरोप
पाकिस्तान के नए चीफ जस्टिस के शपथ समारोह कार्यक्रम में काजी फैज ईसा की नियुक्ति की अधिसूचना पढ़ी गई तो न्यायमूर्ति ईसा के साथ उनकी पत्नी सरीना ईसा भी मौजूद थीं. आमतौर पर ऐसे शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पति-पत्नी सहित परिवार के करीबी सदस्यों को आगे की पंक्ति में बैठाया जाता है.


काजी फैज ईसा की पत्नी सरीना तब सुर्खियों में आईं जब उन्हें 2019 में दायर एक मामले में टैक्स अधिकारियों की जांच का सामना करना पड़ा था. उस वक्त टीवी चैनलों में उन्हें छड़ी की मदद से चलते हुए दिखाया गया था. टैक्स अधिकारियों ने उनपर आरोप लगाए थे कि उनके पति ने लंदन में संपत्ति खरीदी है, जिनकी मालकिन वो थी. हालांकि, कुछ समय के बाद काजी फैज ईसा और उनकी पत्नी को कानूनी बिरादरी की आलोचना के बाद दोषमुक्त कर दिया गया.


पाकिस्तान के नए चीफ जस्टिस की चुनौती
पाकिस्तान के नए चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा को स्वतंत्र विचारों वाला माना जाता हैं. उनके साल 2019 के एक फैसले ने फैजाबाद में एक धार्मिक पार्टी के धरने पर शक्तिशाली प्रतिष्ठान को निशाना बनाया था, जिसके बाद पूरे शहर में हलचल मच गई थी. इसके बाद वो मुसीबत में पड़ गई थी. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दायर किया गया था, लेकिन बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.


काजी फैज ईसा की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान गंभीर संवैधानिक, कानूनी और राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है. उनके सामने मुख्य चुनौती 9 अगस्त को संसद भंग होने के 90 दिनों के भीतर आम चुनाव कराना होगा.


56,000 से ज्यादा लंबित मामलों का सामना
पाकिस्तान में नए चीफ जस्टिस के लिए सबसे बड़ा काम शीर्ष अदालत की प्रतिष्ठा और तटस्थता को बहाल करना हो सकता है, ऐसे समय में जब उनके पूर्ववर्ती उमर अता बंदियाल पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के प्रति नरम रुख रखने का आरोप है. इसके अलावा जस्टिस ईसा को सुप्रीम कोर्ट में 56,000 से अधिक लंबित मामलों को देखना पड़ सकता है. उनमें से कुछ मामले सालों पहले दायर किए गए थे और अब तक उन पर सुनवाई नहीं हुई है.


काजी फैज ईसा की करियर
चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा ने अपनी करियर की शुरुआत 1985 में बलूचिस्तान हाई कोर्ट में एक वकील के रूप में की थी. उसके बाद साल 1998 में सुप्रीम कोर्ट के वकील बन गए. काजी फैज ईसा साल 2009 में बलूचिस्तान हाई कोर्ट के जज बने. उन्होंने 2009 से 2014 तक बलूचिस्तान हाईकोर्ट के मुख्य जज के रूप में काम किया.


इसके बाद साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए. जस्टिस ईसा हाल ही में शाहबाज शरीफ के दौर में बनाए गए सुप्रीम कोर्ट प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर एक्ट को लागू न करने के खिलाफ अपने विरोध को लेकर सुर्खियों में रहे हैं. उन्होंने विरोध करते हुए पिछले पांच महीनों से किसी भी मामले की सुनवाई से परहेज किया है और इसके बजाय अपने कक्ष में काम करना चुना.


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