पाकिस्तान के अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की एक वरिष्ठ नेता ने सेना के उस दावे को शुक्रवार को खारिज कर दिया कि पूर्व प्रधानमंत्री ने राजनीतिक गतिरोध खत्म करने के लिए सेना के आलाकमान का रुख किया था. 


पूर्व मंत्रिमंडल में मानवाधिकार का प्रभार संभालने वाली शिरीन मजारी ने ट्विटर पर इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि असल में सेना ने रक्षा मंत्री परवेज खट्टक के जरिए खान से मुलाकात का वक्त मांगा था. उन्होंने यह भी कहा कि सेना ने खान के सामने तीन प्रस्ताव रखे थे, जिनमें विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को वापस लेने के बदले में या तो अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना, पद से इस्तीफा देना या नए सिरे से चुनाव कराना शामिल था.


'सेना से मदद नहीं मांगी थी...' मजारी


मजारी ने ट्वीट किया, ‘‘मैं स्पष्ट कर दूं...मैं रिकॉर्ड पर बता रही हूं कि प्रधानमंत्री ने ‘राजनीतिक गतिरोध तोड़ने’ के लिए सेना से मदद नहीं मांगी थी.’’ उनका यह बयान तब आया है जब एक दिन पहले सेना प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने घोषणा की थी कि सैन्य आलाकमान राजनीतिक टकराव से दूर था और सेना प्रमुख खान के अनुरोध पर महज एक बार उनसे मिले थे.


बता दें, अब उनकी पार्टी के 123 सांसदों ने नेशनल असेंबली से इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद अब नेशनल असेंबली विपक्ष विहीन हो गई है. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ नेता और पूर्व मंत्री फारुख हबीब ने गुरुवार को बताया कि नेशनल असेंबली के कार्यवाहक अध्यक्ष कासिम सूरी ने हमारी पार्टी के 123 सांसदों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं. ऐसे में अब पाकिस्तान में आम चुनाव जरूरी हो गया है.


इमरान खान ने पाकिस्तानी चुनाव आय़ोग को लेटर भेजकर अपने उन सभी सांसदों के नाम वापस ले लिए हैं जो किसी न किसी संसदीय समिति के सदस्य रहे हैं. उन्होंने आयोग से अपील की है कि उनकी पार्टी के किसी भी सदस्य को संसद की किसी भी समिति में शामिल न किया जाए. क्योंकि उनके सांसदों ने इस्तीफा दे दिया है, इसलिए ऐसा करना सही नहीं होगा. उन्होंने कहा कि वह और उनकी पार्टी नई सरकार में किसी भी तरह शामिल नहीं होना चाहते.


यह भी पढ़ें.


Aligarh Loudspeaker Issue: अलीगढ में हिंदू महासभा ने सनातन भवन पर लगाया लाउडस्पीकर, कहा- पांचों वक्त चलेगा हनुमान चालीसा


Uttarakhand News: दो-दो नदियां होने के बावजूद बागेश्वर प्यासा, गर्मी बढ़ते ही जिले में गहराया पानी का संकट