करीब अस्सी साल पहले जब जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला हुआ था तो लोगों को कई सालों तक उसके परिणाम झेलने पड़े. 6 और 9 अगस्त, 1945 को हुए इस परमाणु हमले की वजह से पीढ़ियों तक हिरोशिमा और नागासाकी की कई पीढ़ियों को गंभीर बीमारियां झेलनी पड़ीं. अब फिर से परमाणु हमले का खतरा मंडरा रहा है, जिसकी वजह दुनिया की बड़ी ताकतों के बीच बढ़ती तनातनी है.


रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से जंग जारी है, इजरायल और हमास की लड़ाई ने पता नहीं कितने लोगों की जान ले ली और लाखों बेघर हो गए. उधर, ईरान और इजरायल भी एक-दूसरे पर हमले कर रहे हैं. इतना ही नहीं, भारत-पाकिस्तान, चीन-ताइवान, भारत-चीन जैसी ताकतों के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी की वजह से कई बार इनकी सेनाएं एक दूसरे भिड़ चुकी हैं. उधर, दक्षिण चीन सागर को लेकर भी चीन के साथ फिलीपींस समेत कई देशों का तनाव है. इन तनावों के चलते ये देश अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में लगे हैं और इस तनातनी के चलते विश्व में परमाणु युद्ध का खतरा मंडराने लगा है.


भारत ने किया अग्नि-5 का परीक्षण
11 मार्च को भारत ने अग्नि-5 मिसाइल का मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) के साथ सफल परीक्षण किया. इसकी रेंज पांच हजार किलोमीटर है और इससे एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है. इसकी जद में पूरा पाकिस्तान और आधा चीन आता है. साल 2012 में इसका परीक्षण किया गया था, लेकिन अब एमआईआरवी के साथ मिसाइल को टेस्ट किया गया. इससे पहले चीन ने एमआईआरवी-कैपेबल DF-5 आईसीबीएम तैनात किए थे. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट थिंक टैंक भारत की ओर से किया गया यह परीक्षण चीनी मिसाइलों की तैनाती पर प्रतिक्रिया के तौर पर देखता है. 


पाकिस्तान के पास भी MIRV टेक्नोलॉजी
एमआईआरवी मिसाइलों की रेस में पाकिस्तान भी शामिल है. उसने साल 2017 में MIRV कैपेबल अबाबील मीडियम-रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की थी. साथ ही वह चीन से हंगोर क्लास की सबमरीन भी खरीद रहा है, जो पाकिस्तानी बाबर-3 न्यूक्लियर आर्म क्रूज मिसाइल ले जाने में सक्षम होगी. 26 अप्रैल को चीन में पाकिस्तान के लिए तैयार की गई हंगोर क्लास पनडुब्बी को लॉन्च किया गया. अब बाकी पनडुब्बी पाकिस्तान में ही बनाई जाएंगी. इसमें एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) लगा है, जो पानी के अंदर इसकी लाइफ बढ़ा देता है.


वॉशिंगटन के सेंटर फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड नॉन-प्रोलीफरेशन के रिसर्च एनालिस्ट शॉन रॉस्टकर को भारत और पाकिस्तान के बढ़ती सैन्य ताकत को देखते हुए ऐसा लगता है कि वह सीमा पर न्यूक्लियर हथियार तैनात करने से बस कुछ साल ही पीछे हैं. उनका कहना है कि कुछ सालों में ही समंदर के अंदर भी मिसाइलें तैनात की जाएंगी.  हालांकि, इन्हें परमाणु सक्षम होने में समय लग सकता है. साल 2018 में भारत ने अरिहंत श्रेणी की स्वदेशी परमाणु सबमरीन ने पहली गश्त पूरी की और 2022 में बैलिस्टिक मिसाइल के साथ सफल परीक्षण भी किया गया.


इजरायल के पास हैं परमाणु हथियार
हथियारों के मामले में इजरायल दुनिया में सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है. हालांकि, वह न्यूक्लियर वेपन की बात से हमेशा इनकार करता रहा है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि उसके पास MIRV टेक्नोलॉजी है या तैयार कर रहा है. इजरायल ने पिछले साल अगस्त में जर्मन मेड सबमरीन को लॉन्च किया था. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इजरायल की ये पनडुब्बियां परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं, जो उसे मिडिल-ईस्ट में इकलौता परमाणु शक्ति बनाता है. हालांकि, ईरान को लेकर ऐसा कहा जाता है कि उसकी यूरिनेयम फैसिलिटी में 12 परमाणु हथियार बनाने जितना यूरेनियम है और 6 महीने के अंदर वह न्यूक्लियर बम बना सकता है.


परमाणु हथियारों के मामले में अमेरिका और रूस की बात करें तो वह शीत युद्ध के अपने न्यूक्लियर वेपंस के आधुनिकीकरण पर पैसा खर्च कर रहे हैं. वहीं, चीन की सेना भी अपनी क्षमताओं को बढ़ाने में लगी है. कोल्ड वॉर के बाद अमेरिका ने पहली बार फिलीपींस के खिलाफ मिड रेंज बैलिस्टिक मिसाइल तैनात की हैं. वहीं फिलीपींस ने भी भारत से ब्रह्मोस एंटी-शिपिंग मिसाइल खरीदी हैं, जिसका पहला बैच पिछले महीने अप्रैल मनीला पहुंच चुका है.


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