Israel-Iran War: ईरान के हमले  के बाद सोशल मीडिया पर एक ट्रेंड शुरू हो गया है- इरानियन स्टैंड विद ईरान. ये पोस्ट ईरानियों ने ही शुरू किया है. इतना ही नहीं लोग इजरायल और ईरान के साथ में झंडे लिए दिख रहे हैं. पाकिस्तानी एक्सपर्ट ताहिर गोरा का कहना है कि ईरान से बाहर रहने वाले ईरानी लोगों ने ये पोस्ट किए हैं, जो ईरान की कट्टर इस्लामिक सत्ता को पसंद नहीं करते हैं. उनका कहना है कि सोशल मीडिया पर जो वीडियो पोस्ट किए जा रहे हैं, वो 1979 से पहले के हैं जब ईरान में शाह शासन था. उनका यह भी कहना है कि ईरान के लोग बुनियादी तौर पर मॉडर्न लोग हैं, जो देश के कट्टर इस्लामिक शासन को पसंद नहीं करते हैं.
 
ताहिर गोरा ने कहा, 'सोशल मीडिया पर चल रहे ट्रेंड से से साफ पता चलता है कि ईरान के लोग खासतौर से जो ईरान से बाहर दूसरे देशों में रहते हैं, उनकी 95 फीसदी आबादी ईरान के मुल्ला शासन के एकदम खिलाफ है. ईरान से जो खबरें आती हैं उनके अनुसार ईरान के अंदर खासतौर से जो अरब इलाकों के शहरी हैं, वो ईरान की कट्टर इस्लामिक सत्ता से शदीद नफरत करते हैं.'


ईरान के कट्टर इस्लामिक सत्ता से नफरत करते हैं ईरानी?
उन्होंने आगे कहा, 'ईरान की अरब आबादी के विरोध प्रदर्शन कई सालों से देखे गए हैं, जिनमें कई लोग मारे गए. ईरान के लोग बुनियादी तौर पर मॉडर्न लोग हैं. मेरी अमेरिका, यूरोप में कई ईरानी लोगों से मुलाकात होती है. मेरे कई ईरानी दोस्त हैं और उनसे मेरी मुलाकात होती है. मिलने के बाद ये एहसास होता है कि ईरानियों में देश के इस्लामिक शासन की तरफ एक बागी तेवर हैं, लेकिन इस्लामिक सत्ता वहां पर काबिज है और ईरानियों को मुनासिब मदद बाहर से नहीं मिलती है कि उस शासन को हटा सकें. वैसे भी किसी सत्ता को हटाना कोई आसान काम नहीं होता है.'


ईरान के इजरायल पर हमले के बाद सोशल मीडिया पर लोग अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. मीम्स और फोटोशॉप फोटो पोस्ट हो रही हैं. इजरायल और ईरान का झंडा साथ-साथ चल रहा है. पाक एक्सपर्ट ताहिर गोरा ने कहा, 'दिलचस्प बात यह है कि ईरानी लोग शाह के जमाने के झंडे और वीडियो सामने ला रहे हैं क्योंकि जब कट्टर इस्लामिक सत्ता ने 1979 में ईरान पर कब्जा किया था तो उनके झंडे को भी बदल दिया था.' उन्होंने कहा कि ईरान की मॉर्डन और अरबन मेजॉरिटी क्लास इस बात से खुश नहीं है कि कट्टर इस्लामिक देश उनके पड़ोसी हैं, बल्कि वो चाहते हैं कि उनकी सरहदें लक्समबर्ग, जर्मनी और फ्रांस के साथ हों.


अफगानिस्तान, पाकिस्तान जैसे देशों को पसंद नहीं करते ईरानी?
ताहिर गोरा ने आगे बताया, 'कुछ ईरानियों ने मुझसे कहा कि किस तरह के देशों के साथ हमारे बॉर्डर मिलते हैं. एक तरफ अफगानिस्तान, एक तरफ पाकिस्तान, दूसरी तरफ ताजिकिस्तान है तो किस तरह के मुल्क हैं, वह उनको तंबू कनाति देश बोलते हैं. इन देशों को लेकर वो सोचते हैं कि ये मुल्क मानसिक रूप से बैंकरप्ट देश हैं जो इस्लामिक कट्टरवाद में फंसे हुए हैं, वो पाकिस्तान को भी उन्हीं देशों में शुमार करते हैं. इस वक्त ब्रिटेन, फ्रांस में ईरानी इस्लामिक शासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.  वो चाहते हैं कि रजा पहलवी किंगडम के जमाने में जो उनकी मॉडर्न लेगेसी थी, उसको वो आगे लेकर चलें.'


ईरान ने इजरायल पर दागीं 300 से भी ज्यादा मिसाइलें
13 अप्रैल को ईरान ने 300 से भी ज्यादा मिसाइलें इजरायल की तरफ दाग दी थीं. इन हमलों के धमाकों से पूरा इजरायल गूंज उठा था. ईरान के इस हमले को सीरिया में उसके दूतावास पर हुए हमले के बदले के तौर पर देखा जा रहा है. ईरानी दूतावास पर हमले के पीछे इजरायल को बताया जा रहा है. हालांकि, इजरायल ने इसे स्वीकार नहीं किया है.


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