Iran: ईरान ने जासूसी और भ्रष्टाचार के आरोप में एक दोहरी नागरिकता रखने वाले ब्रिटिश-ईरानी नागरिक को फांसी दी थी. देशव्यापी प्रदर्शनों के बीच ईरान के इस कदम से अब पश्चिमी देशों के साथ तनाव और बढ़ने की आशंका है. ईरानी न्यायपालिका से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक अली रजा अकबरी को भ्रष्टाचार के आरोप में यह सजा मिली. हालांकि ऐसे मुद्दे ईरान में सत्ता संघर्ष का संकेत देते हैं. 


अकबरी पर ब्रिटिश खुफिया एजेंसी MI6 के लिए जासूस के रूप में काम करने का आरोप लगाया गया था और कथित तौर पर विभिन्न मुद्राओं में 2 मिलियन डॉलर से ज्यादा का भुगतान करने का आरोप था. इस मामले को लेकर ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने एक क्रूर और कायरतापूर्ण बताया है. उन्होंने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया और अली रजा अकबरी के दोस्तों और परिवार के लिए संवेदनाएं व्यक्त की. 


3500 घंटे की क्रूर यातनाएं 


वहीं, मृतक के एक रिश्तेदार ने ब्रिटिश-ईरानी दोहरे नागरिक को फांसी देने के जवाब में ब्रिटेन से ईरानी राजनयिकों को निष्कासित करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि आरोपों को कबूल करने से पहले उन्होंने 3,500 घंटे की क्रूर यातना को सहन किया, जिसके बाद उसे शनिवार को फांसी दी गई. 


2008 में छोड़ दिया था ईरान


महमूद अहमदीनेजाद के नेतृत्व वाली देश की नई कट्टर शासन द्वारा उत्पीड़न का सामना करने के बाद अकबरी ने 2008 में ब्रिटेन के लिए ईरान छोड़ दिया था. 2009 में अकबरी को जासूसी के आरोप में ईरान की यात्रा के दौरान गिरफ्तार किया गया. उनके भतीजे रामिन फोर्गानी ने टेलीग्राफ को बताया कि उसके चाचा की फांसी के खिलाफ लोगों को आवाज उठानी चाहिए. 


ईरानी मीडिया के मुताबिक अकबरी ने लंदन में रिसर्च और व्यापार गतिविधियों पर केंद्रित एक निजी कंपनी में काम करने के बहाने अपने खुफिया काम को अंजाम दिया. ईरान ने यह भी आरोप लगाया था कि अकबरी ने एक MI6 खुफिया अधिकारी और ईरान में पूर्व ब्रिटिश राजदूत रिचर्ड डाल्टन के साथ बैठकें की थीं. 


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