Russia Ukraine war: रूस कमाने गए एक भारतीय युवक की मिसाइल हमले में मौत हो गई. बिना शव के ही सोमवार (26 फरवरी) को उसके परिजन सूरत में अंतिम संस्कार करेंगे. परिजनों ने बताया है कि 23 वर्षीय उनके बेटे को सहायक की नौकरी के लिए कुछ लोग रूस ले गए थे, वहां जाकर राइफल पकड़ा दी. मृतक के पिता ने सरकार से शव को भारत लाने की मांग की है.


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 23 वर्षीय हेमिल मंगुकिया की मिसाइल हमले में 21 फरवरी को रूस में मौत हुई है. मंगुकिया परिवार सूरत के पाटीदार इलाके वराछा के आनंदनगर वाडी में रहता है. सोमवार की शाम को बिना शव के ही अंतिम संस्कार करने की जानकारी दी गई है.


हेमिल के पिता अश्विन मंगुकिया सूरत में ही कढ़ाई का काम करते हैं, जो अपने बेटे की मौत से बहुत परेशान हैं. उन्होंने अपनी सरकार से आग्रह किया है कि उनके बेटे का शव सूरत मंगाया जाए. इंडियन एक्सप्रेस से अश्विन ने कहा कि उनको नहीं मालूम कि उनके बेटे का शव कहां है और न ही किसी ऐसे व्यक्ति का नंबर है जिससे कुछ जानकारी मिल सके. अश्विन ने बताया कि 20 फरवरी को आखिरी बार हेमिल से बात हुई थी, तब सबकुछ ठीक था. 


हैदराबाद के शख्स ने दी मौत की सूचना
अश्विन ने बताया कि उनका बेटा रूस में कौन सी नौकरी कर रहा था, इसकी जानकारी नहीं दिया था. परिवार के लोगों को सिर्फ इतना पता था कि वह रूस में हेल्पर की नौकरी करता है. बाद में पता चला कि उसको यूक्रेन की सीमा पर युद्ध क्षेत्र में भेजा गया था. अश्विन ने बताया कि 23 फरवरी शाम 6 बजे हैदराबाद के रहने वाले इमरान नाम के शख्स ने उनके पास फोन किया था और उसने ही मौत की जानकारी दी. इमरान ने बताया कि उसका भाई भी रूस में काम करने गया है. यूक्रेन के मिसाइल हमले में हेमिल की मौत हो गई है.


परिवार के एक अन्य सदस्य ने बताया कि अश्विन कक्षा-12 तक की पढ़ने के बाद कढ़ाई का काम करता था. एक वेबसाइट के माध्यम से वह कुछ एजेंटों के संपर्क में आया, जो रूस में 2 लाख रुपये महीने की सैलरी पर नौकरी दिलाने की बात कर रहे थे. इसी के बाद हेमिल ने विदेश जाने का निर्णय लिया और 14, दिसंबर 2023 को रूस के लिए रवाना हो गया. 


मृतक के पिता ने क्या कहा?
हेमिल के पिता ने बताया कि 'हमें पता चला है कि कुछ दिनों तक काम करने के बाद, रूसी भाषा में लिखे एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया था और बाद में उन्हें राइफल के साथ युद्ध क्षेत्र में शामिल कर लिया गया था. वह वापस लौटना चाहता था और उसने एजेंटों के साथ रूसी सेना में अपने वरिष्ठ अधिकारियों से भी बात की थी, लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी.'


यह भी पढ़ेंः Russia Ukraine War: रूस के खिलाफ जंग में 3 लाख नहीं इतने यूक्रेनी सैनिकों की हुई मौत? जेलेंस्की ने बताया सही आंकड़ा