वॉशिंगटन: अमेरिकी चुनाव के करीब आते-आते आरोप-प्रत्यारोप भी तेज होता जा रहा है. 'द अटलांटिक' पत्रिका की एक रिपोर्ट ने दावा किया है कि ट्रंप ने लड़ाई में मारे गए सैनिकों को हारे हुए कहा है. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस खबर का खंडन कर दिया है. ट्रंप ने कहा है कि युद्ध के शहीदों के बारे में उनकी कथित टिप्पणी को लेकर खबर महज 'झूठी कहानी' है. जबकि व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने कहा कि उदारवादी कार्यकर्ता केवल साजिशों से लदे प्रचार में रुचि रखते हैं.


द अटलांटिक पत्रिका में छपे एक समाचार के बारे में पूछे जाने पर ट्रंप ने व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में कहा, "यह पत्रिका द्वारा लिखी गई एक झूठी कहानी है जो शायद ज्यादा समय तक चलने वाली नहीं है. लेकिन यह पूरी तरह से झूठी कहानी थी और इसकी पुष्टि कई लोगों ने की है जो वास्तव में वहां थे."


सियासी गलियारों में हलचल मचाने वाली इस खबर में आरोप लगाया गया कि युद्ध में मारे गए अमेरिकियों के लिए ट्रंप ने 'हारे हुए' और 'नासमझ' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया.


रिपोर्ट में क्या दावा किया गया
‘द अटलांटिक’ में छपी इस खबर में कहा गया था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर अमेरिकी सेना के बंधक बनाए गए या मारे गए जवानों के लिए अपमानजनक टिप्पणियां की हैं. खबर के मुताबिक उन्होंने 2018 में फ्रांस में आयस्ने-मार्ने अमेरिकी कब्रिस्तान में दफनाए अमेरिकी शहीदों को श्रद्धांजलि देने जाने का विचार इसलिए रद्द कर दिया क्योंकि उन्हें डर था कि बारिश में उनके बाल बिखर जाएंगे और क्योंकि वह यह नहीं मानते थे कि युद्ध में मारे गए अमेरिकियों का सम्मान करना जरूरी है.


द अटलांटिक ने अपनी खबर उन चार अनाम लोगों के बयान के आधार पर लिखी है जिन्हें उस दिन हुई चर्चा की प्रत्यक्ष जानकारी थी. पत्रिका के मुताबिक, इसी दौरे में ट्रंप ने प्रथम विश्व युद्ध में जान गंवाने वाले 1800 नौसैनिकों के लिए 'नासमझ' शब्द का इस्तेमाल किया था.


ये खबर छपने के बाद उनके राजनीतिक विरोधियों ने उनसे माफी की मांग की है. हालांकि, ट्रंप ने कहा कि यह यह कहानी पूरी तरह से झूठी है. वहीं व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सहित ट्रंप सरकार के कई लोग उनके समर्थन में आगे आए. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैली मैकनेनी ने कहा, "द अटलांटिक की कहानी को प्रत्यक्षदर्शियों और तत्कालीन दस्तावेजों द्वारा स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया गया है."


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