China Cancelled CPEC Meeting: पाकिस्तान में बस धमाके में चीनी इंजीनियरों की मौत से नाराज़ चीन ने पाक के साथ सीपीईसी की अहम बैठक को रद्द कर इस्लामाबाद को झटका दिया है. जुलाई 16 को होने वाली इस अहम बैठक में खैबर पख्तूनख्वा इलाके की कई परियोजनाओं का भविष्य तय होना था. 


चीन-पाकिस्तान आर्थिक गालियारे के प्रमुख और पाक सेना के पूर्व प्रवक्ता मेजर जनरल असीम बाजवा ने सोशल मीडिया पर इस बैठक के रद्द होने की जानकारी साझा की. बाजवा ने ट्वीट कर कहा कि 16 जुलाई को होने वाली यह बैठक ईद के बाद होगी. लेकिन उन्होंने बैठक को आगे टाले जाने के कारणों का खुलासा नहीं किया.


हालांकि, जेसीसी बैठक टालने के फैसले की टाइमिंग को खैबर पख्तूनख्वा के कोहिस्तान इलाके में 14 जुलाई की सुबह हुए बस धमाके से सहज ही जोड़ा जा सकता है, जिसमें 9 चीनी नागरिकों की मौत हो गई थी. यह चीनी इंजीनियर केपीके इलाके में चीनी मदद से चल रही डासू जलविद्युत परियोजना के निर्माण में लगे थे. इनके साथ 4 पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों की भी मौत हो गई थी.


इस घटना पर दोनों पक्षों की तरफ से आए बयान भी मतभेदों की कहानी कहते हैं. पाकिस्तान ने जहां इसे बस के गड्ढे में गिरने से हुआ हादसा दिखाने की कोशिश की. वहीं चीन के सरकारी मीडिया की खबरों में कोहिस्तान की घटना को बम धमाका करार दिया गया. वहीं पाकिस्तान में मौजूद चीनी दूतावास की तरफ से जारी बयान में इस वारदात को सड़क हादसा बताने की बजाए बस धमाका करार दिया गया. इतना ही नहीं चीन ने अपने नागरिकों को एहतियात की सख्त हिदायतें जारी कर साफ कर दिया कि पाकिस्तान के सुरक्षा इंतजामों पर उसे कितना भरोसा है.


यह पहला मौका नहीं है जब CPEC परियोजनाओं पर काम कर रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा चिंताओं के सवाल चीन ने पाकिस्तान के साथ उठाए हैं. कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान में चीन के राजदूत नोंग रोंग ने CPEC में चीन के निवेश और नागरिकों की सुरक्षा चिंताओं को लेकर सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की थी. इतना ही नहीं इससे पहले भी सिंध, बलूचिस्तान के इलाके में चीनी इंजीनियरों पर हुए हमलों के कारण पाक को चीन की नाराजगी झेलनी पड़ी है.


बहरहाल, इमरान सरकार 16 जुलाई को होने वाली चाइना पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर से जुड़ी अहम बैठक का लंबे समय से इंतजार कर रही थी. उसकी योजना खैबर पख्तूनख्वा इलाके की कई योजनाओं पर योजनाओं पर मुहर लगवाने की थी. तकि चीन से फंडिंग की एक बड़ी खेप हासिल की जा सके. अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा वाले खैबर पख्तूनख्वा इलाके में चीन भी अपना निवेश बढ़ाने की कोशिश में है. ताकि अफगानिस्तान की सत्ता में वापसी की तैयारी कर रहे तालिबान के साथ संबंधों का तानाबाना मजबूत किया जा सके.



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