Myanmar military releases hardline monk Ashin wirathu: म्यांमार की एक खबर इस वक्त दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है. यह खबर है विवादित बौद्ध भिक्षु अशीन विराथु को रिहा किए जाने की खबर. दरअसल विराथु की छवि हमेशा से ही मुस्लिम विरोधी रही है. खासकर रोहिंग्या समुदाय को लेकर अपने 'विवादित बयान' के कारण अशीन विराथु को 'बुद्धिस्ट बिन लादेन' तक  कहा जाता है. इतना ही नहीं जब 2013 में टाइम मैगज़ीन ने उन्हें अपने कवर पेज पर छापा तो उसका शीर्षक था -''फेस ऑफ बुद्धिस्ट टेरर'' हालांकि अपनी राष्ट्रवादी पहचान की वजह से उन्हें अच्छा खासा समर्थन भी मिला हुआ है.


उन्हें म्यांमार की नागरिक सरकार ने राजद्रोह के आरोप में जेल में डाल दिया था. हालांकि अब जब म्यांमार में तख्तापलट हो चुकी है तो एक बार फिर अशीन विराथु रिहा हो गए हैं. वो सेना के समर्थक भी हैं. उन्हें इससे पहले साल 2003 में 25 साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन साल 2010 में अन्य राजनीतिक बंदियों के साथ उन्हें भी रिहा कर दिया गया था. वो फिर गिरफ्तार हुए थे लेकिन एक बार फिर सेना ने उन्हें रिहा कर दिया है. आइए जानतें हैं कौन हैं ये म्यांमार के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ विवादित बयान देने वाले अशीन विराथु ....



कौन हैं अशीन विराथु


अशीन विराथु का जन्म 1968 में हुआ था. उन्होंने 14 साल की उम्र में ही स्कूली शिक्षा छोड़ दी और बौद्ध भिक्षु का जीवन अपना लिया. अशीन विराथु तब सर्वाधिक चर्चा में आए जब साल 2001 में वो '969' नामक संगठन के साथ जुड़े. यह एक मुस्लिम विरोधी और राष्ट्रवादी गुट है. हालांकि '969' संगठन के लोग हमेशा खुद पर लगने वाले कट्टरपंथी के आरोप को नकारते रहे हैं. अब ज़रा समझ लेते हैं कि ये '969' है क्या? दरअसल इन तीनों संख्याओं को बौद्ध की शिक्षा का सार समझा जाता है. 9 मतलब बौद्ध के खास 9 गुण, 6 मतलब बौद्ध के बताए छह कर्म जैसे पाप से दूरी, कल्यानकारी कार्य, सत्य, दया आदि और आखिरी नंबर 9 का मतलब है बौद्ध द्वारा स्थापित संघ के नौ चरित्र.


'969' का अर्थ तो काफी पवित्र है लेकिन इस नाम से चल रहे इस संगठन की मंशा काफी अलग है. इसके सबसे बड़े नेताओं में अशीन विराथु बनकर उभरे हैं. इस आंदोलन का मकसद 'नफरत फैलाना' है. ये मुस्लिम दुकानदारों का बहिष्कार करने की बात करता है. बौद्ध मकानों की पहचान करने के लिए उनके घर के बाहर '969' लिख देता है. ये संगठन रोहिंग्या मुसलमानों को घुसपैठिया मानता है.


इसी संगठन के भाषणों से फैले हिंसा में कई लोग मारे गए हैं. साल 2002 में अशीन विराथु को हिंसा फैलाने की वजह से पहली बार जेल हुई. लेकिन आठ साल बाद रिहा हो गए और फिर 'नफरत से भरे भाषण' देने लगे. जब साल 2010 में अशीन विराथु जेल से रिहा हुए तो वो अचानक सोशल मीडिया और यूट्यूब पर एक्टिव हो गए. उन्होंने इन माध्यमों से जमकर अपने विचारों का प्रचार किया. उनके फॉलोअर्स लगातार बढ़ते गए.


इसी बीच जब साल 2012 में राखिने प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों और बौद्धों के बीच हिंसा भड़की तो अशीन विराथु फिर चर्चा का केंद्र बन गए. वो लगातार मुसलमानों के खिलाफ भाषण देते रहे और 'राष्ट्रवादियों' के भावनाओं से जुड़ गए. अब ज़रा देश के राखिने प्रांत को भी जान लीजिए. यह देश के पश्चिम हिस्से में है. ये म्यांमार के सांप्रदायिक तनाव का प्रमुख केंद्र है. यहां बौद्ध तो बहुसंख्यक हैं लेकिन मुसलमानों की आबादी भी अच्छी खासी है.


राखिने प्रांत में साल 2012 में एक बौद्ध महिला से रेप और हत्या की घटना हुई जिसके बाद तनाव बढ़ गया जो धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया. इसके बाद साल 2015 में एक और  रेप की कथित घटना सामने आई. इन घटनाओं को लेकर अशीन विराथु लगातार मुस्लिम विरोधी बयान देते रहे और लोगों को भड़काते रहे.


इसी बीच देश के राष्ट्रपति थेन सेन एक योजना लेकर आए जो काफी विवादित था. उनकी ये योजना रोहिंग्या मुसलमानों को किसी और देश भेजने की योजना थी. UNHCR ने थेन की योजना की निंदा की और खारिज कर दिया.


अशीन विराथु ने राष्ट्रपति के इस योजना का खूब समर्थन किया. उनके बयानों के की वजह से राखिने प्रांत में खूब हिंसा भड़की. वो किस तरह का बयान देते थे एक उदाहरण देखिए..


''आपके अंदर दया और प्रेम भरा हो सकता है. मगर इसका मतलब ये नहीं कि आप किसी पागल कुत्ते के बगल में सो जाएं.''


जेल से बाहर आए अशीन विराथु को सत्ता का समर्थन मिला. साल 2017 में म्य़ांमार में रोहिग्या के प्रति बड़े स्तर पर हिंसा हुई. सैकड़ों मुसलमानों को देश छोड़कर भागना पड़ा. उनका साफ कहना था कि आप जो भी करते हैं वो एक राष्ट्रवादी के तौर पर करें. 


एक बार अशीन विराथु से पूछा गया कि क्या उनको वर्मा का बिन लादेन कहा जाना सही है, उन्होंने कहा वो इससे इनकार नहीं करेंगे.  


अशीन विराथु अधिकतर भाषण में निशाने पर मुसलमान होते हैं. वो रोहिंग्या मुसलमानों को किसी तीसरे देश भेजने की बात का खुलकर समर्थन करते हैं. उन्होंने बौद्ध महिलाओं का मुसलमानों द्वारा जबरन धर्म परिवर्तन करवाने का आरोप भी लगाया.


उन्होंने उस अभियान की भी अगुवाई की जिसकी मांग थी कि बिना सरकारी इजाजत कोई भी बौद्ध महिला किसी अन्य धर्म में शादी नहीं कर सकती है. हालांकि इसकी भी जमकर आलोचना हुई और कई महिलावादी संगठनों का कहना था कि किससे शादी करनी है ये महिलाओं का अपना अधिकार होना चाहिए.


अशीन विराथु सिर्फ मुस्लिम विरोधी बयान ही नहीं बल्कि अपनी महिला विरोधी बयानों को लेकर भी चर्चा में रहते हैं. एक बार साल 2015 में उन्होंने म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि यांग ली के लिए अपशब्द कहे थे. उन्होंने उन्हें 'वैश्या' कहकर बुलाया था. उनका बयान पढ़िए..


''सिर्फ इसलिए कि आप संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करती हैं, आप सम्मानित महिला नहीं बन जातीं. आप हमारे देश में सिर्फ एक वैश्या हैं''


बौद्ध धर्म में करुणा और दया की भावना को सर्वोपरि माना गया है, लेकिन अशीन विराथु की 'कट्टर विचारधारा' को देख लोग कहते हैं कि वो बौद्ध धर्म के नाम का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं.